क्रूस का संदेश (26) – जो जल और आत्मा से जन्म लेता है केवल उसी का उद्धार होगा ।
यीशु ने उस को उत्तर दिया कि मैं तुझ से सच सच कहता हूंए यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता (यूहन्ना 3ः3) .


हाॅलांकि बहुत से लोग परमेश्वर में विश्वास और यीशु मसीह को मानने का दावा करते है , जरूरी नही की उन सब के पास उद्धार का निश्चय है . हमारे मार्गदर्शक के रूप में निकेदुमुस और यीशु के बीच की आत्मिक बातचीत के साथ, इस मानमिन समाचार का प्रकाशन संपूर्ण उद्धार का मार्ग और जल और पवित्र आत्मा से जन्म लेने के महत्व को बताएगा .

1.यीशु और निकेदुमुस के बीच आत्मिक बातचीत

निकेदुमुस एक यहूदी अधिकारिक , एक शिक्षक और फरीसियों में से एक सुप्रवीण था .

यीशु के समय में , फरीसी बाहरी रुप से पवित्र थे , बिना व्यवस्था को अपने हृदय मे रखे हुए . न केवल उन्होने यीशु की शिक्षाओ पर शंका जताई परंतु यीशु को मारने के आंदोलन को गति भी दी . दूसरे फरीसियो के असमान , तो भी , निकेदुमुस को सत्य की प्यास थी , और जैसे ही उसने सच्चा विश्वास प्राप्त किया , एक शाम वह यीशु से मिलने गया .

निकेदुमुस ने यीशु से दो टूक अंगीकार मे कहा , रब्बी , हम जानते है कि तुम परमेश्वर की और से शिक्षक होकर आए हो , क्यांकि कोई इन चिन्हों को जो तू दिखाता है, यदि परमेश्वर उसके साथ न हो, तो नही दिखा सकता .हृदय में निकेदुमुस की प्यास को महसूस करते हुए , यीशु ने उत्तर दिया , मैं तुझ से सच सच कहता हूं यदि कोई नए सिरे न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य नही देख सकता और उसको आत्मिक शिक्षा प्रदान की .

यह सुनकर , तो भी , निकेदुमुस नही समझ पाया , कि किस प्रकार बूढ़ा व्यक्ति , जो इतने समय का जन्मा है, दोबारा जन्म कैसे ले सकता है ? जैसे कि 1 कुरुन्थियो 4ः20 हमें याद दिलाता है , केवल जब एक व्यक्ति पवित्र आत्मा की प्रेरणा में परमेंश्वर की सामर्थ को प्राप्त करता है तो वह आत्मिक भेदो को प्रगट करने के योग्य होता है . बिना यीशु की आत्मिक शिक्षा को समझे , निकेदुमुस ने पूछा , कि मनुष्य किस प्रकार फिर दोबारा जन्म ले सकता है ,जबकि वह बूढ़ा है. वह दोबारा से अपनी माता के गर्भ में नही जा सकता और जन्म ले सकता है ,

जवाब में यीशु ने उससे कहा, कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं , जब तक कोई आत्मा और जल से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नही कर सकता .क्योंकि जो शरीर से जन्मा है वह शरीर है जो आत्मा से जन्मा है वह आत्मा है. अचम्भा न कर कि मैने तुझ से कहा कि, किसी व्यक्ति को स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए तुम्हें नए सिरे से जन्म लेना है , यीशु ने कहा , अदृश्य आत्मा को दोबारा जन्म लेना होगा .

आदम, मनुष्यजाति का पूर्वज , जीवित प्राणी के रुप में रचा गया था परंतु उसके पापो के कारण , उसकी आत्मा मर गई। उसके बाद से, आदम की सारी संतान मरी हुई आत्मा से जन्मे और तब से वे शारीरिक मनुष्य बन गए. और स्वर्ग में प्रवेश न कर सके .

इसे रोकने और ठीक करने का एक ही मार्ग है कि किसी को नरक जाने से बचाने के लिए उसे जल और पवित्र आत्मा से जन्म लेना है. उसके लिए यीशु ने निकेदुमुस को कहा , हवा जिधर चाहती है उधर चलती है और तुम उसकी आवाज सुनते हो, परंतु नही जानता कि कहा से आती है , और कहां जाती है , जो कोई आत्मा से जन्मा है वह वही है. जिस प्रकार हवा अदृश्य है और उसकी दिशा नही बताई जा सकती , हम केवल पवित्र आत्मा की सामर्थ और परमेश्वर के कार्य के द्वारा ही आत्मिक क्षेत्र की बातो को अनुभव और उसको थाह सकते है.

यीशु की इस मुलाकात के साथ , हम देखते है कि निकेदुमुस यीशु के बचाव में आता है जब फरीसी उसकी आलोचना करते है .(यूहन्ना 7ः50-51), और जब यीशु क्रूस पर मरा , तो पचास सेर के लगभग मिला हुआ गन्धरस और एलवा ले आया (यूहन्ना 19ः39). इस तरह के कार्य को देखकर हम कह सकते है कि निकेदुमुस ने उद्धार को प्राप्त किया .

2.पानी से जन्म लेने का आत्मिक महत्व

यूहन्ना 4ः14 , ’’परंतु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसें दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा ; वरन जो जल में उसे दूंगा ,वह उस में एक सोता बन जाएगा, जो अनन्त जीवन के लिए उमड़ता रहेगा । यहां पर पानी अनन्त जीवन से उमड़ता हुआ सोते की तरह है जो यीशु हमें देता है. तो अनन्त जीवन से उमड़ता हुआ सोता क्या है , अनन्त जल जो यीशु हमें देता है ? हम जानते है कि यीशु मनुष्य के पुत्र का मांस और लहू पीए बिना हममें जीवन नही . (यूहन्ना 6ः53) .

यूहन्ना 6ः54 दर्शाता है कि जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है अनंत जीवन उसी का है , और मैं अंतिम दिन उसे फिर जिला उठाउंगा . मनुष्य के पुत्र के मांस खाना परमेश्वर के वचन की रोटी बनाना है, और मनुष्य के पुत्र के लहू को पीना परमेश्वर के वचन का पालन करना है . मनुष्य के पुत्र का मांस खाना और उसके लहू पीना अपने आप में परमेश्वर का वचन है और जल है जो मनुष्य को अनंत जीवन देता है . जिस प्रकार पानी अशुद्धता को दूर कर देता है और जीवित प्राणियों को जीवन देता है , आत्मिक रूप से पानी परमेश्वर का वचन हमारे हृदय से बुराई और पापों को धो देता है और मदद करता है कि अनंत जीवन को प्राप्त करें .जब परमेश्वर का वचन हमारे हृदय में वास करता है और उन्हें साफ करता है , हम गर्म मिजाज , जलन , ईर्ष्या , बैर जैसे बुरे और पापमय तत्वों को निकाल फेकेगें और दोबारा जन्म लेंगें और उद्धार को प्राप्त करेंगें(1 पतरस 3ः21).

इसीलिए, जब हम परमेश्वर के वचन की रोटी बनाते है और पालन करते है , जो हमारे पापो को धो देता है , हम धीरे धीरे धर्मी और पवित्र बन जाते है, और यह बदले में हमारे उद्धार के प्रमाण के रूप में कार्य करेगा ।

3.पवित्र आत्मा से दोबारा जन्म लेने का आत्मिक अर्थ
परमेवर ने अपनी बचाई हुई संतान को पवित्र आत्मा दिया है (यूहन्ना 15ः26, प्रेरितो के काम 2ः38) और पवित्र आत्मा विश्वास को प्राप्त करने में उनकी मदद करता है , और उनकी आत्मा को पुनः जीवित करता है जो मर गई थी .
1 यूहन्ना 5ः5-8 हमे याद दिलाता है कि , संसार पर जय पाने वाला कौन है केवल वह जिस का यह विश्वास है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है ;यही है वह, जो पानी और लहू के द्वारा आया था; अर्थात यीशु मसीह : वह न केवल पानी के द्वारा , वरन पानी और लहू दोनो के द्वारा आया था । और जो गवाही देता है , वह आत्मा है, क्योंकि आत्मा सत्य है। और गवाही देने वाले तीन है ; आत्मा, और पानी , लोहू; और तीनो एक ही बात पर सहमत हैं। ’पद’ वह जो पानी और लहू के द्वारा आया दर्शाता है यीशु के लहू बहने और मृत्यु को ,वचन जो देहदाहरी हुआ . जैसे ही यीशु क्रूस पर मरा, उसके लहू के द्वारा हम उद्धार प्राप्त करते है , इसीलिए , वह जो पानी और लहू के द्वारा आया यीशु है और उसके स्वर्गारोहण के बाद पवित्र आत्मा हममे भेजा गया जो इस तथ्य पर विश्वास दिलाने में हमारी मदद करता है .
पवित्र शास्त्र भी हमें बताता है कि वह जो विश्वास करता है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है वह संसार पर जय पाता है और यह प्रस्तुत करता है कि हम कैसे संसार की अभिलाषाओ से लड़ाई करके और विजय पाने के द्वारा असत्य के साथ लिप्त नही हो गए . पवित्र आत्मा न केवल हमारी मदद करता है प्रभु में सभी निश्चितता पर विश्वास करने में परंतु न्याय और धार्मिकता और पाप के विषय में संसार को दोषी ठहराता है . वह हमें ताकत भी देगा संसार और उसके मार्गाे पर विजय प्राप्त करने के लिए.
जब हम पाप की प्रकृति को एहसास करते है , और धार्मिकता को साधने की महत्वपूर्णता को समझतें है , और न्याय पर विश्वास करते है जो आने वाले है , तो हम पवित्र आत्मा की इच्छा के अनुसार जीने के लिए विवश हो जाते है. हर रोज अपने हृदय से बुराई के रूपो को और पापो को दूर करने के द्वारा , हम अपने हृदयो को बदल सकते है और सत्य से भर सकते है .

मसीह में प्रिय भाईयो और बहनो , केवल जब आप आत्मा और पानी से जन्म लेंगें और आत्मा को आत्मा का जन्म देने देंगें , तो आप स्वर्ग राज्य में प्रवेश कर सकते है .

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