पवित्र आत्मा के 9 फल – धीरज के फल का क्या अर्थ है और कैसे प्राप्त करे ?

रेंव डॉ जेरॉक ली मानमिन चर्च के सीनियर पास्टर

धीरज के फल का क्या अर्थ है और कैसे प्राप्त करे ?

परंतु आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, सच्चाई, नम्रता, संयम है ऐसी बातों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं।

गलातियों (5:22-23)

यदि हम सब कुछ भलाई में सहन करते हैं, तब हम आशा के साथ कठिनाइयों को दूर करने में सक्षम होंगे। परिणामस्वरूप, हमारे पास एक विशाल हृदय होगा। भले ही हम पर गलत आरोप लगाया गया हो,

हम कोशिश करेंगे कि दूसरे व्यक्ति को गलतफहमी दूर हो जाए। यदि हम इस स्तर तक पहुँच सकते हैं, तो धीरज या क्षमा शब्द आवश्यक नहीं होंगे। यह अवस्था आत्मिक धीरज की तरह है।

प्रेम अध्याय ( 1 कुरिंथियों अध्याय 13 ) में भी धीरज है। वह धीरज प्रेम की जुताई करने के लिए आवश्यक धीरज है। धीरज आत्मा के फलों में से एक फल है जो प्रेम अध्याय की तुलना में अधिक धीरज धरना है। यह सब कुछ के बारे में धीरज है। आइए धीरज के इस फल पर करीब से नजर डालें। धीरज के फल का क्या अर्थ है और कैसे प्राप्त करे ?

पवित्र आत्मा के 9 फल – धीरज के फल का क्या अर्थ है और कैसे प्राप्त करे ?

  1. धीरज का फल।

1) अपने हृदय को बदलने में धीरज रखना।

हमारे हृदय में जितनी अधिक बुराई होगी, धीरज रखना उतना ही मुश्किल होगा। यदि हमारे अंदर क्रोध, अहंकार, लोभ और स्वंय की धार्मिकता है, तो हम आसानी से भडक सकते हैं और कठोर भावनाएँ रखते हैं। फिर भी, जिस हद तक हम पापों और बुराई को दूर करते हैं और पवित्रता की जुताई करते हैं, धीरज रखना आसान हो जाता है। हम बिना कठोर भावनाओं को दबाए क्षमा करने और समझने में सक्षम होंगे।

लूका 8ः15 कहता है, पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं। जिनके पास अच्छी भूमि है वे फल आने तक धीरज रख सकते हैं।

हमें अपने हृदय की जुताई करने और उसे अच्छी भूमि बनाने के लिए कठिन परिश्रम और धीरज की आवश्यकता है। हमें उत्साह और जोश से प्रार्थना करनी है और स्वंय को आज्ञाकारी बनाना है। हमें उन चीजों को छोड़ देना चाहिए जो हमें पसंद है अगर वह आत्मिक रूप से लाभदायक नहीं है। हमें बीच में सिर्फ इसलिए नहीं रुकना चाहिए क्योंकि यह कठिन है।

हमें अपने हृदय को बदलने के लिए तब तक लगातार प्रार्थना करनी चाहिए जब तक कि पापमय स्वभाव बाहर नहीं आ जाता। हमें खुद को बदलते हुए देखने के समय की प्रतीक्षा में धीरजपूर्वक प्रयास करना चाहिए। जब हम इस तरह से विश्वास के साथ पवित्रता की जुताई करते हैं, तो सभी चीजें समृद्ध होंगी और हम स्वस्थ रहेंगे, यहां तक कि हमारा प्राण भी समृद्ध होगा।

2) लोगों के संबंध में धीरज धरना।

जब अलग-अलग व्यक्तित्व और शिक्षा वाले लोग एकत्र होते हैं, तो उन्हें कुछ कठिनाइयाँ हो सकती हैं। विशेष रूप से चर्च में जो एक ऐसी जगह है जहां कई तरह के लोग इकट्ठा होते हैं, अलग-अलग राय के कारण शांति भंग हो सकती है। हालांकि, जो लोग पवित्रता की लालसा रखते हैं, वे किसी भी स्थिति में और किसी भी प्रकार के व्यक्ति के साथ शांति बनाए रखेंगे। वे दूसरों की सेवा करते हैं, भले उन्हें असुविधा का सामना करना पड़ता है।

वे हमेशा दूसरों को समझते हैं और अच्छे हृदय से दूसरों के हित की सेवा करते हैं। भले ही दूसरे बुराई में काम करते हों, लेकिन वे बुराई से नहीं बल्कि केवल भलाई के साथ उसका बदला देते हैं। जब हम सुसमाचार का प्रचार करते हैं और आत्माओं की देखभाल करते हैं तब हमें धीरज रखने की भी आवश्यकता होती है। हमें उनके साथ इस आशा के साथ धीरज रखना चाहिए कि वे किसी दिन बदल जायेंगे।

जब हम इस तरह से धीरज के बीज बोते हैं, तो हम परमेश्वर के न्याय में निश्चित रूप से फल पाएंगे। जब हम आंसुओं और धीरज के साथ आत्माओं के लिए प्रार्थना करते हैं जब तक कि वो बदल नहीं जाते, हम बहुत से लोगों को ग्रहण करने के लिए एक विशाल हृदय प्राप्त करने में सक्षम होंगे। इसका मतलब है कि हमें बहुत सी आत्माओं को बचाने का अधिकार मिलेगा। यह धर्मीजन की प्रार्थना के द्वारा उनके हृदयों को बदलने की सामर्थ है। यदि हम किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति में धीरज का बीज बोते हैं, तब परमेश्वर हमें आशीष का फल काटने देगा।

3) परमेश्वर के संबंध में धीरज रखना।

मरकुस 11ः24 कहता है, इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगो तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिये हो जाएगा। परमेश्वर ने हमें बहुत से वायदे दिए हैं कि वह हमें उत्तर देगा।

हालांकि, कई मामलों में हमें उत्तर नहीं मिलता है क्योंकि हम पर्याप्त धीरज नहीं रखते हैं। परमेश्वर सब कुछ जानता है, इसलिए वह हमें सबसे उपयुक्त समय पर उत्तर देता है। अगर हम कुछ बड़ा मांग रहे हैं, तब हमें उत्तर पाने के लिए प्रार्थना की मात्रा इकट्ठा करना होगा।

दानिय्येल आत्मिक बातों की व्याख्या प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करने लगा। जैसे ही उसने प्रार्थना शुरू की, परमेश्वर ने उसे उत्तर दिया। हालांकि, दानिय्येल को वास्तव में जवाब मिलने में 21 दिन लग गए।

दानिय्येल ने 21 दिनों तक बेबदल हृदय से प्रार्थना की। यदि हम वास्तव में विश्वास करते हैं कि हमें उत्तर पहले ही मिल गया है, तो धीरज रखना कठिन नहीं है, क्योंकि जब हम उत्तर प्राप्त करेंगे तो हम उस आनंद के बारे में सोचेंगे जो हमें प्राप्त होगा।

याकूब 1ः6-8 कहता है, पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है।

ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा। वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है।”

महत्वपूर्ण बात यह है कि परमेश्वर से मांगते समय हमें उस पर कितना भरोसा था। यदि हम वास्तव में उत्तर प्राप्त करने में विश्वास करते हैं, तो हम किसी भी स्थिति में प्रसन्न होंगे। हम तब तक विश्वास के साथ प्रार्थना करते रहेंगे जब तक कि परमेश्वर का उत्तर हमारे हाथ में न आ जाए। साथ ही, जब हम हृदय की आजमाइशो या प्रभु के लिए सतावों से गुजरते हैं, तब हमारे लिए अच्छे फल उत्पन्न करने के लिए धीरज पूर्ण रूप से आवश्यक है।

  1. विश्वास के पिता धीरज के साथ।

इब्रानियों 12ः1-2 कहता है, इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्जा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।

यीशु ने सभी प्रकार के उपहास और अवमानना का सामना उन लोगों से किया जिन्हें उसने बनाया था। हालाँकि, क्योंकि वह जानता था कि वह परमेश्वर के दाहिने हाथ पर बैठेगा और वह उद्धार सभी मानव जाति के लिए आएगा, उसने सभी अवमानना और शर्म को सहन किया।

वह संपूर्ण मनुष्यजाति के पापों को लेकर क्रूस पर मर गया, और तीसरे दिन पुनरुत्थान के द्वारा उद्धार का मार्ग खोल दिया। जब उसने उद्धारकर्ता का कर्तव्य पूरा किया, तो वह राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु के रूप में परमेश्वर के दाहिने हाथ जा बैठा।

याकूब के साथ यह कैसा था? वह अपने भाई एसाव से अपनी जान बचाकर भाग रहा था। और जब वह चट्टान लेकर सो रहा था, तो उसने एक परमेश्वर द्वारा दिए गए स्वप्न को देखा। उसने इसे अपने मन में रखा और अंत में सभी इस्राएलियों का पिता बनने के लिए 20 साल की परीक्षाओं को सहन किया।

याकूब के पुत्र यूसुफ को उसके सौतेले भाइयों ने एक दास के रूप में मिस्र में बेच दिया था। उस पर गलत आरोप लगाया गया और उसे जेल में डाल दिया गया। हालांकि, वह कभी निराश नहीं हुआ। वह बचपन में अपने सपने के माध्यम से दिए गए परमेश्वर के वायदे में विश्वास करता था। उसे परमेश्वर पर भरोसा था जो हमेशा उसे देखता था। उसे अपने प्रेम पर दृढ़ विश्वास था। उसने कभी भी अपनी आशा नहीं खोई और सभी चीजों में विश्वास दिखाते हुए धीरज धरता रहा। अंत में, वह मिस्र का प्रधान मंत्री बना।

दाऊद के पास राजा शाऊल से दूर भागते हुए कई जीवन को जोखिमों में डालने वाली परिस्थितियाँ थीं, लेकिन उसने विश्वास के साथ सहन किया और एक उत्तम राजा के लिए खुद को एक बड़ा पात्र बना लिया।

याकूब 1ः3-4 कहता है, तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे। मुझे आशा है कि आप सिद्ध धीरज को जोतेंगे। वह धीरज आपके आत्मिक विश्वास को बढ़ाएगा और आपके हृदय को विशाल और प्रौढ करेगा। यदि आप पूरी तरह से धीरज रखते हैं तब आप निश्चित रूप से परमेश्वर की आशीषों और उत्तर का अनुभव करेंगे।

प्रिय भाइयों और बहनों, भजन संहिता 125ः5-6 कहता है, जो आंसू बहाते हुए बोते हैं, वे जयजयकार करते हुए लवने पाएंगे। चाहे बोने वाला बीज ले कर रोता हुआ चला जाए, परन्तु वह फिर पूलियां लिए जयजयकार करता हुआ निश्चय लौट आएगा। जब आप बीज बोते है और वो बडा होता है तो निश्चित ही परिश्रम, आंसू और दर्द होता है।

परमेश्वर ने सच्ची संतानों को प्राप्त करने के लिए अपने एकलौते पुत्र को देने का दर्द सहा, जिनके साथ वह हमेशा के लिए सच्चा प्रेम साझा कर सकें। प्रभु ने क्रूस को भी सहा, और पवित्र आत्मा भी वचनों के लिए बहुत गहरी कराहट के साथ हमारे लिए सहन करता है। होने पायें आप त्रिएक परमेश्वर के प्रेम को याद करे और पूर्ण धीरज की जुताई करें ताकि आपको न केवल इस पृथ्वी पर बल्कि स्वर्ग के राज्य में भी प्रचुर मात्रा में कटनी कांटे, मैं प्रभु के नाम से यह प्रार्थना करता हूं।

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