God's Providence Found in Jesus Clothing

यीशु के कपड़ो में पाया जाने वाला परमेश्वर का प्रावधान – क्रूस 14 का संदेश (God’s Providence Found in Jesus Clothing )Message of Cross 14

तब सैनिकों ने, जब उन्होंने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया था, उन्होंने उसके बाहरी वस्त्र लिए और चार भाग किए, प्रत्येक सैनिक को एक हिस और अंगरखा भी अब अंगरखा बिन सीवन का था, एक टुकड़े में बुना हुआ। इसलिए उन्होंने एक दूसरे से कहा, हम इसे फाड़े नही, लेकिन इसके लिए चिट्ठी डालें, यह तय करने के लिए कि यह किसका होगा’ यह पवित्रशास्त्र को पूरा करने के लिए था, उन्होंने मेरे बाहरी कपड़ों को आपस में बांट दिया, और मेरे कपड़ों के लिए उन्होंने चिट्ठी डाली (यूहन्ना 19ः23-24)।

यीशु, जो परमेश्वर का पुत्र है, इस वह संसार में आया और उसने गंभीर सताव को सहा और उसको क्रूस पर चढ़ाया गया। यीशु को सार्वजनिक रूप से कपड़े फाड़कर नग्न करके अपमानित क्यों किया गया था, और परमेश्वर का प्रावधान क्या है जो यीशु के बाहरी वस्त्र और अंगरखे में पाया जाता है? (What was God’s Providence Found in Jesus Clothing )

  1. यीशु ने नग्न होने की शर्म को सहन किया।

यीशु ने लकड़ी के भारी क्रूस को अपनी पीठ पर गोलगाथा के मार्ग तक उठाया जिस पर उसे चढ़ाया जाना था। जब वह अपने क्रूसारोहण की जगह पर पहुंचा, तो सैनिकों ने यीशु के बाहरी वस्त्र और अंगरखा ले लिया और उसे नग्न अवस्था में क्रूस पर चढ़ा दिया। यह भजनसंहिता 22ः18 में पवित्रशास्त्र को पूरा करना था जिसमें लिखा था वे मेरे वस्त्र आपस में बांटते हैं, और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं। क्या कारण है कि बाइबल में यीशु के कपड़ों का इतना विस्तृत वर्णन हमें मिलता है, क्योंकि उसके वस्त्र इज्रराइल के इतिहास का प्रतीक है।

यीशु, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के इकलौते पुत्र को नीच प्राणियों के सामने नग्न होने के अपमान को सहने के लिए मजबूर होना पड़ा। किस कारण से यीशु ने ऐसे अपमान कोे सहा? हमारी ओर से यीशु ने अपमान और शर्म को सहा जिसे हमें सहना था। पापरहित यीशु को उपहास और निंदा को सहना पडा जो कि पापियों को सहना था।

गंदगी में से सबसे ज्यादा गंदा और अपमानों में से सबसे ज्यादा अपमानित चीज पाप है। आज बहुत से लोग पापों में रहते हैं, और वो पापों के प्रति सुन होते जा रहे हैं। तो भी, जिस तरह ज्योति अंधकार की चीजों को उजागर करती है, जब परमेश्वर का वचन, जो स्वयं ज्योति है, हमारे हृदय पर चमकता है, हमारे अंदर के सभी शर्मनाक पाप उजागर होते हैं। जो लोग इस संसार की गंदगी में डूब चुके थे और पाप में जी रहे थे, वे अपने तुच्छ हृदय और कामों के कारण जब वो परमेश्वर के न्याय केे सामने खड़े होंगे, तब वह अपना चेहरा उठाने की हिम्मत भी नहीं कर पायेंगे।
फिर भी, यीशु ने हमें हमारे पापों से छुडाया और हमारे लिए, हमारी ओर से अपमान और तिरस्कार को सहा और, जो कोई भी इस बात पर विश्वास करता है वह शर्म से मुक्त हो सकता है। इसलिए, हम में से प्रत्येक को अपने पूरे हृदय से प्रभु के प्रेम के लिए आभारी होना चाहिए और तेजी से सिद्ध पवित्रता को पूरा करके उसे गले लगाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

  1. यीशु के बाहरी वस्त्र को सैनिकों के द्वारा बांटने में परमेश्वर का प्रावधान।

यीशु के बाहरी वस्त्र आत्मिक रूप से इज्ररायल और उसके लोगों के राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। जब उसके बाहरी कपड़ों को चार टुकड़ों में विभाजित किया गया था, तो कपड़ों का रूप गायब हो गया था और एकमात्र अवशेष कपड़े के टुकड़े थे। यह दर्शाता है कि इज्ररायल को कैसे नष्ट किया जाना था। जिस तरह कपड़े के टुकड़े यीशु के बाहरी कपड़ों के एकमात्र अवशेष थे, यह दर्शाता है कि केवल इज्रराइल के लोग कैसे रहेंगे।

यही कारण है कि रोमन सैनिकों ने यीशु के बाहरी कपड़ों को विभाजित करने का प्रतीक कि रोम के लोगों के द्वारा इज्रराइल के राष्ट्र को कैसे नष्ट किया जाना था, और उनके कपड़ों को चार टुकड़ों में विभाजित करना दर्शाता है कि इज्रराइल के लोग चार दिशाओं में फैल जाऐंगे। उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम।

यरूशलेम के शहर के बारे में यीशु की भविष्यवाणी लूका 19ः43-44 में पाई गई है क्योंकि वे दिन तुझ पर आएंगे कि तेरे बैरी मोर्चा बान्धकर तुझे घेर लेंगे, और चारों ओर से तुझे दबाएंगे। और तुझे और तेरे बालकों को जो तुझ में हैं, मिट्टी में मिलाएंगे, और तुझ में पत्थर पर पत्थर भी न छोड़ेंगे क्योंकि तू ने वह अवसर जब तुझ पर कृपा दृष्टि की गई न पहिचाने।

भविष्यवाणी के अनुसार, 70 ईसा पूर्व में रोमन जनरल टाइटस यरूशलेम शहर के पूर्ण विनाश को लेकर आया। जैसा कि यीशु ने कहा था, वे तुम पर एक पत्थर तक नहीं छोड़ेंगे, यरूशलेम को जमीन में मिला दिया। शहर की घेराबंदी के दौरान, दस लाख से अधिक यहूदियों का नरसंहार किया गया था और जो लोग घेराबंदी और नरसंहार से बच गए थे, उन्हें सभी दिशाओं में खदेड़ दिया गया और बाद में अन्यजातियों के सभी प्रकार के उत्पीड़न के अधीन कर दिया गया।

यहूदियों पर जो अत्याचार हुआ है, वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी शासन द्वारा लागू एक व्यवस्थित हत्याकांड था। साठ लाख से अधिक लोगों को पूरी तरह नग्न कर केवल इसलिए मारा गया क्योंकि वे यहूदी थे। इतनी बड़ी संख्या में लोग श्रापों की वजह से मारे गए थे क्योंकि उनके पूर्वजों ने यीशु को मौत के घाट उतार दिया था, जो इस संसार में उनके राजा के रूप में आया था।

यहूदी यीशु की मृत्यु के बारे में पूछने के लिए निरंतर प्रयास करते रहेे और उन्होंने कहा, उसका खून हम पर और हमारी संतानों पर होगा। (मत्ती 2ः25), और इस तरह उन्हें उनकी माँगों के लिए प्रतिदण्ड मिला, और वे एक क्रूर इतिहास के माध्यम से जीयें। यह सब रोमन सैनिकों के यीशु के बाहरी कपड़ों को चार भागों में विभाजित करने का प्रतीक था।

  1. यीशु के अंगरखे को सैनिकों द्वारा आपस में बांटने में परमेश्वर का प्रावधान।

यीशु का अंगरखा बिन सीवन का था, जिसका अर्थ है कि कपड़ा एक साथ सिला नहीं था, लेकिन एक टुकड़े में बुना हुआ।

यहाँ, अंगरखा मनुष्य के हृदय को दर्शाता है। यीशु का अंगरखा, इज्ररायल का राजा, इज्ररायल के बाद के हृदय का प्रतीक है और परमेश्वर में उनके विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है।

इज्ररायल का संस्थापक, परमेश्वर के द्वारा चुना हुआ, याकूब है। परमेश्वर ने व्यक्तिगत रूप से याकूब का नाम इज्रराइल में बदल दिया और याकूब के बारह पुत्रों में से इज्रराइल की बारह जातियां बनी। लंबे समय तक, इज्रराइली एक समरूप लोग थे, जो अन्य देशों के पुरुषों और महिलाओं के साथ विवाह नहीं करते थे, और उन्होंने एकमात्र परमेश्वर की सेवा की।

तब सुलैमान के पुत्र रहोबाम के शासनकाल में, इज्रराइल के एक गृह युद्ध ने देश को उत्तर में इज्रराइल और दक्षिण में यहूदा में विभाजित कर दिया। उत्तर में इज्रराइल के लोगों ने जल्द ही अन्यजातियों से विवाह करना शुरू कर दिया और उन्होंने एक समरूप राष्ट्र की अखंडता खो दी। केवल दक्षिण में यहूदा के लोग ही इज्रराइल के सच्चे वंशज बन गए क्योंकि वे नस्लीय रूप से सजातीय बने रहे। आज तक इस कारण से, इज्रराइल के वंशजों को यहूदा के लोगों या यहूदियों के रूप में संदर्भित किया जाता है।

जैसे यीशु का अंगरखा एक टुकड़े में बुना गया था, वैसे ही यहूदी लंबे समय तक एक सजातीय लोग बने रहे थे, जिसकी शुरुआत उनके पूर्वज याकूब से हुई थी। यही कारण है कि रोमन सैनिकों ने यीशु के अंगरखे को नहीं फाड़ा और यह आत्मिक रूप से इस बात का प्रतीक है कि यहूदी लोगों का अपने परमेश्वर के प्रति हृदय को न तो विभाजित किया जा सकता है और न ही उसे नष्ट किया जा सकता है। रोम इज्रराइल के लोगों के विश्वास को मिटाने में असफल रहा।

यरूशलेम के पतन के बाद भी और लगभग दो सहस्राब्दियों के लिए पृथ्वी के सभी कोनों में कठिनाई और पीड़ा के बावजूद, यहूदियों ने अपनी पहचान नहीं खोई और अंत में 14 मई 1948 को वे अपने पूर्वजों की भूमि पर लौट आए, संप्रभु राष्ट्र की स्थापना हुई। इस तरह यहेजकेल 38ः 8-9 में भविष्यवाणी पूरी हुई। पृथ्वी पर अन्य कौन सी जाति ने अपनी राष्ट्रीय पहचान के लिए उपवास रखा है, उन्हें उनके विश्वास द्वारा सुरक्षित रखा गया है, और विनाश के बाद लगभग 1,900 साल से बहाल एक राष्ट्र के रूप में उनकी राज्यसत्ता है?

इज्रराइल के लोगों का हृदय और विश्वास जो उनके पूर्वज याकूब से विरासत में मिला था, वह दृढ़ था, और यह यीशु के अंगरखा का संरक्षण है जो इस तरह के इतिहास को सामने लाने का अधिकार देता है।

मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, यरूशलेम के पतन और यहूदियों की पीड़ा और इज्रराइल के विनाश और बहाली जो कुछ भी बाइबिल में दर्ज की गई है वो सब पूरी हो गयी है। अभी जो होने वाली हैं, वे आने वाले दिनों में होने वाली घटनाएं हैं, जिनमें से एक निकट भविष्य में हमारे प्रभु की वापसी है जो हमें स्वर्ग ले जाएगा। मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूं कि आप जागृत रहें और प्रार्थना करते रहें, जल्दी से प्रभु के दुल्हन के रूप में अपने आपको सुषोभित करें, और प्रभु का स्वागत करें जो हमें लेने के लिए फिर से आऐगा।

हमारे Youtube Channel से जुड़ने के लिए यहां – क्लिक करें

रेंव डाॅ जेराॅक ली की किताबे पढ़ने के लिए यहां – क्लिक करें

Leave a Reply