क्रूस का संदेश (8) क्यों केवल यीशु ही हमारा एकमात्र उद्धारकर्ता है? (1) The Message of the Cross (8) Why Is Jesus Our Only Savior? (1)
और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें। (प्रेरितों के काम 4:12)।
जैसे ही नियुक्त समय आया, परमेश्वर का पुत्र पृथ्वी पर यीशु के रूप में आया और उद्धारकर्ता के कर्तव्य को पूरी तरह से पूरा किया।
भूमि सदा के लिये तो बेची न जाए, क्योंकि भूमि मेरी है और उस में तुम परदेशी और बाहरी होगे। लेकिन तुम अपने भाग के सारे देश में भूमि को छुड़ा लेने देना॥ यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल हो कर अपनी निज भूमि में से कुछ बेच डाले, तो उसके कुटुम्बियों में से जो सब से निकट हो वह आकर अपने भाईबन्धु के बेचे हुए भाग को छुड़ा ले। (लैव्यव्यवस्था 25:23-25)।
- यह इसलिए है क्योंकि यीशु मनुष्य के रूप में देह में पृथ्वी पर आया।
लैव्यव्यवस्था 25ः25 भूमि के छुटकारे नियम के लिए एक प्रावधान है और इसे इस प्रकार पढ़ा जाता है यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल हो कर अपनी निज भूमि में से कुछ बेच डाले, तो उसके कुटुम्बियों में से जो सब से निकट हो वह आकर अपने भाईबन्धु के बेचे हुए भाग को छुड़ा ले। जिस तरह निकटतम कुटुम्बी आ सकते हैं और अपने रिश्तेदार द्वारा बेची गई भूमि को वापस खरीद सकते हैं, आदम के वंशजों को पुनः प्राप्त करने का कार्य जो कि दुष्ट षत्रु को सौंप दिए गए है, ”आदम के निकटतम कुटुम्बी” के द्वारा किया जाना चाहिए ।
तो फिर, आदम का “निकटतम कुटुम्बी” कौन है? यह एक मनुष्य को संदर्भित करता है, एक मनुष्य, जिसका आदम की तरह ही आत्मा, प्राण और शरीर हो। हमें 1 कुरिन्थियों 15ः21-22 में याद दिलाया गया है, क्योंकि जब मनुष्य के द्वारा मृत्यु आई तो मनुष्य ही के द्वारा मरे हुओं का पुनरुत्थान भी आया और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएंगे।” मानव जाति को उनके पापों से छुड़ाने वाला उद्धारकर्ता बनने के लिए पहली शर्त यह है कि उसे एक मनुष्य होना चाहिए।
यीशु सृष्टिकर्ता परमेश्वर का पुत्र है। तो, वह एक मनुष्य का निकटतम कुटुम्बी कैसे हो सकता है? फिलिप्पियों 2ः6-8 कहता है, जिस ने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। ”
यूहन्ना 1ः13 हमें यीशु के बारे में बताता है, और वचन देहधारी हुआ, और हमारे बीच में निवास किया और यूहन्ना 1रू1 हमें स्मरण दिलाता है कि वचन परमेश्वर था। वाक्यांश वचन देहधारी हुआ हमें बताता है कि परमेष्वर ने मांस और हड्डियों के साथ एक मनुष्य का देह धारण किया, और इस संसार में आया।
मानव जाति को उनके पापों से छुड़ाने के लिए यीशु का जन्म मनुष्य के शरीर में हुआ था। चूँकि वह एक मनुष्य था, यीशु ने थकान, भूख, प्यास, आनंद और शोक को महसूस किया। जब उसे क्रूस पर लटका दिया गया, तो यीशु ने लहू बहाया और एक कष्टदायी दर्द भी महसूस किया।
एक निर्विवाद सबूत है जो इस बात की गवाही देता है कि यीशु एक मनुष्य के रूप में इस संसार में आया था। हम इसे इस बात से जानते हैं कि कैसे मनुष्य जाति के इतिहास को यीशु के जन्म से पहले के समय (ईसा पूर्व के लिए मसीह से पहले) और यीशु के जन्म के समय (एडी के लिए एनो डोमिनि के लिए लैटिन में इसका मतलब प्रभु के वर्ष में है) में विभाजित किया गया है।
दूसरे शब्दों में, जिस पद्धति से हम मनुष्य जाति के इतिहास की गणना और उसका पता लगाते हैं, वह इस सत्य की पुष्टि करता है कि यीशु वास्तव में एक मनुष्य के रूप में इस संसार में आया था। इसलिए, यीशु ने आदम के सबसे करीबी कुटुम्बी होने की पहली शर्त को पूरा किया क्योंकि वह, जो परमेश्वर का पुत्र है, देह में पृथ्वी पर आया था।
- ऐसा इसलिए है क्योंकि यीशु आदम का वंशज नहीं है जिसने पाप किया था।
जब परमेश्वर ने मनुष्य को बनाया, तो उसने आदम और हव्वा को जीवन का बीज दिया। पुरुष को शुक्राणु और महिला को अंडाणु दिया और उनके माध्यम से एक नए जीवन की कल्पना की। शुक्राणु और अंडे में निहित वंशानुगत प्रभावों और विषेषताओं से संबंधित जानकारी है, जैसे कि माता-पिता की प्रकृति, व्यक्तित्व, विशेषताऐं, बाहरी दिखावे और यहां तक कि आदतें भी। यही कारण है कि बच्चे की दिखावट, शारीरिक आकृति, स्वभाव, आदतों आदि के मामले में अपने माता-पिता से मिलते जुलते हैं।
आदम के पाप करने के बाद, पूर्वजों के पापी गुण उनकी भावी पीढ़ी में गये, और यह मूल पाप है। इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति उस क्षण पापी बन जाता है जब वह आदम और उसके पूर्वजों से विरासत में मिले पापी गुणों के साथ पैदा होता है। रोमियों 5रू12 में लिखा है, इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया।
जैसे एक मनुष्य आदम के पाप के कारण सारी मनुष्यजाति पर मृत्यु आई, उसके सभी वंशज प्रभावी रूप से पापी हैं। यदि एक व्यक्ति पापी है, तो वह दूसरे व्यक्ति को उसके पापों से मुक्त नहीं कर सकता है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपके भाई पर बहुत बड़ा कर्ज है और वह खुद को कारावास की राह पर पाता है। यदि आप पर भी अपना बहुत बड़ा कर्ज है और आप खुद को कारावास के रास्ते पर पाते हैं, तो आपके पास अपने भाई की मदद करने और उसका कर्ज चुकाने की क्षमता नहीं है। उसी कथन से, जबकि उद्धारकर्ता जो मानव जाति को उनके पापों से छुड़ाने के लिए है मनुष्य होना चाहिए, और वह पापी न हों। हालाँकि, चूँकि आदम के सभी वंशज मूल पाप के साथ पैदा हुए पापी हैं, वे दूसरों को उनके पापों से मुक्त नहीं कर सकते।
दूसरे शब्दों में, कोई भी व्यक्ति जो कभी पैदा हुआ है, उद्धारकर्ता के लिए दूसरी शर्त को पूरा नहीं कर सकता है। फिर, उद्धारकर्ता होने की दूसरी शर्त को कौन पूरा कर सकता है, कि उसे एक मनुष्य होना चाहिए लेकिन पापी नहीं? उन सभी लोगों में से, जो कभी पृथ्वी पर पैदा हुए हैं, केवल यीशु, परमेश्वर का एकलौता पुत्र, है एक मनुष्य लेकिन वह आदम का वंशज नहीं है, या पापी नहीं है।
भौतिक शब्दों में, यीशु दाउद का वंशज हैं और उनके माता-पिता युसुफ और मरियम हैं। फिर भी, मत्ती 1ः20 हमें स्मरण दिलाता है कि यीशु पवित्र आत्मा से गर्भवती हुआ और मत्ती 1:23 हमें यीशु के जन्म के बारे में भविष्यवाणी के बारे में बताता है, देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी, और उसके एक पुत्र होगा। और वे उसका नाम इम्मानुएल रखेंगे।”
यीशु की कल्पना यूसुफ के शुक्राणु और मरियम के अंडे के मिलन से नहीं बल्कि पवित्र आत्मा की सामर्थ से हुई थी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के लिए पवित्र आत्मा की सामर्थ से मरियम को यीशु से गर्भवती करना कोई मुश्किल काम नहीं था। यीशु पवित्र आत्मा द्वारा गर्भवती हुआ और उसने अर्थात यीषु ने केवल कुंवारी मरियम के शरीर को उधार लिया था, इस प्रकार यीशु आदम का वंशज नहीं हैं और क्योंकि उसे कोई वंशानुगत प्रभाव और लक्षण विरासत में नहीं मिले थे, यीशु मूल पाप के साथ पैदा नहीं हुआ था।
याद रखें कि जब कुँवारी मरियम ने गर्भधारण किया और यीशु को जन्म दिया, तो वह उसकी माँ नहीं हो सकती। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथ, यदि एक निषेचित अंडे को एक मशीन में जन्म दिया जाता है और एक बच्चे का जन्म 9 महीने के बाद होता है, तो बच्चा मशीन को माँ नहीं कहेगा।
यीषु और कुँवारी मरियम के बीच के रिश्ते को इस तरह से देखा जा सकता है। इस कारण से, यीशु ने बाइबल में मरियम को कभी भी माँ के रूप में नहीं बुलाया या संदर्भित नहीं किया, बल्कि इसके बजाय स्त्री शब्द का प्रयोग किया (यूहन्ना 2:4, यूहन्ना 19:26)। अभिव्यक्ति यीशु की माता का प्रयोग केवल यीशु के चेलों द्वारा मरियम को संदर्भित करने के लिए किया गया था, और वह हमारी आराधना की वस्तु नहीं होनी चाहिए। हमेशा याद रखें कि हमें केवल त्रिएक परमेष्वर की आराधना और प्रार्थना करनी है।
मैं मानमिन न्यूज के अगले अंक में संदेश जारी रखूंगा।
मसीह में भाइयों और बहनों, जैसा कि आप इस तथ्य को बेहतर ढंग से समझते हैं और स्वीकार करते हैं कि यीशु मसीह को छोड़कर पृथ्वी पर और कोई भी मनुष्य जाति के उद्धारकर्ता होने के योग्य नहीं है, मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूं कि आप में से प्रत्येक को शीघ्र ही विश्वास से उद्धार पाने का निष्चय प्राप्त हो और परमेश्वर की संतान के रूप में मिलने वाले सभी अधिकार और आशीषों का आनंद ले।
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