क्रूस का संदेश (10) गुप्त ज्ञान जिसे परमेश्वर ने समय से पहले पूर्वनिर्धारित किया था।
The Hidden Wisdom which God Predestined Before the Ages – The Message of the Cross (10)
परन्तु हम परमेश्वर का वह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया। (1 कुरिन्थियों 2:7)।
समय शुरू होने से पहले, परमेश्वर ने मनुष्य की जुताई की योजना बनाई और उसने एक ऐसा मार्ग तैयार किया जिससे संसार के सभी लोगों को बचाया जा सके। और उसने अपनी योजना को अपने चुने जाने के समय तक गुप्त रखा। तो फिर, उद्धार का वह रहस्य क्या है जिसे परमेश्वर ने समय से पहले छिपा रखा था?
- मनुष्य के उद्धार का मार्ग पूर्व नियोजित था।
आदम और हव्वा को सर्प द्वारा परीक्षा दिए जाने के बाद और उन्हें भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष से खाने के लिए शाप दिया गया, परमेश्वर ने मानव जाति के उद्धार की भविष्यवाणी की। उत्पत्ति 3:15 में, उसने कहा, और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच, और तेरे वंश और उसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूंगा वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।”
आत्मिक रूप से कहें तो, स्त्री का अर्थ इस्राएल है, जबकि उसका वंश यीशु मसीह का प्रतीक है जो इस्राएल के लोगों में से आने वाला था (प्रकाशितवाक्य 12रू5)। परमेश्वर ने यीशु मसीह के क्रूस पर चढ़ने की भविष्यवाणी की, जो इस्राएल राष्ट्र से आने वाला था, शत्रु शैतान के अधिकार को नष्ट करने, और सभी मनुष्य जाति को बचाने के लिए। जैसा कि शैतान को भी इस बात की जानकारी थी, वह हमेशा उद्धारकर्ता के आने के लिए बेकरार और घबराया हुआ था।
तब यीशु का जन्म लगभग २,००० वर्ष पूर्व इस्राएल के बेतलेहेम नामक नगर में पैदा हुआ था और शत्रु, शैतान ने राजा हेरोदेस को जो उस समय इस्राएल पर राज्य कर रहा था, भड़काकर उसे मार डालने का प्रयास किया। यूसुफ के स्वप्न में यहोवा का दूत प्रकट हुआ और यूसुफ यीशु के साथ मिस्र में चले गये। शैतान ने लगातार फरीसियों और याजकों की बुराई को भड़काकर यीशु को कई बार मारने की कोशिश की लेकिन परमेश्वर ने उसे हमेशा सुरक्षित रखा।
जब परमेश्वर का निर्धारित समय आ पहुंचा, यीशु को दुष्ट लोगों के द्वारा पकडा़ गया और क्रूस पर एक नृशंस मृत्यु हुई। शैतान ने सोचा कि यीशु की मृत्यु के द्वारा सब कुछ हल हो गया, लेकिन यहाँ परमेश्वर का रहस्य छिपा है। निष्पाप यीशु को मारकर, शत्रु शैतान वास्तव में परमेश्वर के प्रावधान को पूरा करने का एक साधन बन गया।
- यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया और वह पुनरुत्थानित हो उठा।
रोमियों 6ः23 में पाए गए आत्मिक नियम के अनुसार, जिसमें लिखा है, पाप की मजदूरी मृत्यु है, मृत्यु की सजा केवल पापियों पर लागू होती है। हालाँकि, जैसे ही शत्रु शैतान ने पापरहित यीशु को मार डाला, उसने आत्मिक क्षेत्र के नियम का उल्लंघन किया और उसके उल्लंघन की कीमत के रूप में, शैतान को अपना अधिकार छोड़ना पड़ा। मनुष्य पर शासन करने और मृत्यु का आह्वान करने का अधिकार।
भले ही यीशु क्रूस पर मरा, उसने मृत्यु पर विजय प्राप्त की और पुनरुत्थानित हुआ क्योंकि वह पाप रहित था। इसलिए, जो कोई भी प्रभु में विश्वास करता है, जो क्रूस पर मरा और पुनरुत्थानित हुआ, शत्रु शैतान की मृत्यु के अधिकार से मुक्त किया जाएगा और उसे स्वर्ग में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी (रोमियों 5ः18-19)। इसके अलावा, उत्पत्ति में पाया गया परमेश्वर का वचन, वह तुम्हारे सिर को कुचल डालेगा (उत्पत्ति 3:15), पूरा हुआ।
यदि शत्रु शैतान को क्रूस के प्रावधान के बारे में पता होता, तो वह यीशु को पकड़कर मार नहीं डालता (1 कुरिन्थियों 2ः8-9)। यीशु के लिए, जो परमेश्वर के साथ एक है, भविष्य के बारे में जानता था, वह परमेश्वर की इच्छा की आज्ञाकारिता में क्रूस पर मर गया और इस प्रकार उद्धार के प्रावधान को पूरा किया।
इसलिए, जैसा कि रोमियों 10ः10 हमें बताता है, क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है। जो कोई भी विश्वास से प्रभु के साथ एक हो जाता है, वह परमेश्वर के अनुग्रह से उद्धार प्राप्त कर सकता है।
- जब हम विश्वास करते हैं और यीशु मसीह के सदृष बनते हैं तो हम उद्धार प्राप्त करते हैं।
ष्हम विश्वास से प्रभु के साथ एक हो जाते हैं कहने का क्या अर्थ है? यूहन्ना 6ः56 में, यीशु हमें बताता है, जो मेरा मांस खाता और मेरा लहु पीता है, वह मुझ में बना रहता है, और मैं उस में। मनुष्य के पुत्र का मांस खाना और लहू पीना, उसके वचन की रोटी बनाना, उसके अनुसार जीना, और उसे हमारे विश्वास का प्रमाण दिखाना है। तब हम प्रभु में और प्रभु हम में बने रहेंगे।
बेशक, प्रभु को स्वीकार करने के तुरंत बाद सत्य के वचन का पालन करना और उसके अनुसार जीना आसान नहीं है। हालाँकि, जब कोई हृदय से परमेश्वर के वचन का पालन करने का प्रयास करता है, तो परमेश्वर उसके कार्यों को विश्वास के रूप में पहचान लेगा। परमेश्वर के वचन की रोटी बनाना और प्रभु का अनुसरण करना हमारे लिए विश्वास से प्रभु के साथ एक होने का मार्ग है।
1 यूहन्ना 1ः7 हमें बताता है, परन्तु यदि हम ज्योति में वैसे ही चलें जैसे वह ज्योति में है, तो हम आपस में संगति रखते हैं, और उसके पुत्र यीशु का लहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है। जब हम परमेश्वर के वचन ज्योति में चलते हैं, तो यीशु का लहू हमें सभी पापों से शुद्ध करेगा। इसके अलावा, हम पुनरुत्थान की महिमा में भाग लेने और अनन्त स्वर्ग के राज्य में एक आनंदमय जीवन जीने में सक्षम होंगे।
- नए सिरे से जन्म लेने के बाद जब हम ज्योति में चलते हैं तो हम परमेष्वर की सच्ची संतान बन जाते हैं।
प्रकाशितवाक्य 3ः20 में, हमारा प्रभु हमें बताता है, देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।” जो कोई अपने हृदय का दरवाजा खोलता है और प्रभु को स्वीकार करता है, हमारा प्रभु उसे क्षमा करने और उसके साथ रहने का वायदा कर रहा है।
हमारे हृदय के द्वार खोलने के लिए हमारे विचार के द्वार खोलने की आवश्यकता है। परमेश्वर के संदेशों को सुनते समय, हमें अपने विचार और ज्ञान को थामे नहीं रहना चाहिए बल्कि उसके वचन को स्वीकार करना चाहिए। तभी पवित्र आत्मा जो हमारे हृदयों में है, हमें सच्चे विश्वास और उसके वचन से जीने की ताकत देगा।
इस तरह से हम पानी और पवित्र आत्मा से नये सिरे से जन्म लेते हैं, और जो कोई भी इस तरह से नया जन्म लेता है वह परमेश्वर की संतान है जिसका नाम स्वर्ग में जीवन की पुस्तक में दर्ज किया गया है, जहां अब उसकी नागरिकता है। जिस तरह इस संसार में पालन करने और पालन करने के लिए नियम और कानून हैं, वैसे ही स्वर्गीय नियम हैं, जो हमारे पिता परमेश्वर के वचनों में पाए जाते हैं। जब हम ज्योति में चलते हैं, तो हमें शत्रु शैतान द्वारा उकसाया नहीं जा सकता। इसके बजाय, जब तक हम स्वर्ग तक नहीं पहुंच जाते, हम परमेश्वर की सुरक्षा में और उनकी भरपूर आशीषों में रहेंगे।
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, प्रेरितों के काम 16ः31 में लिखा है, प्रभु यीशु पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा। प्रेम के परमेश्वर ने यीशु मसीह को तैयार किया ताकि सभी लोग विश्वास के द्वारा उद्धार प्राप्त कर सकें।
परमेश्वर ने इसे गुप्त रखा, और निर्धारित समय पर, प्रभु ने अपने प्रेम में क्रूस पर लटकाए जाने को स्वीकार करके मनुष्यजाति के लिए उद्धार का मार्ग खोल दिया। परमेश्वर ने यह संभव बनाया कि जो कोई भी यीशु मसीह पर विश्वास करता है वह पवित्र आत्मा और उद्धार और पुनरुत्थान प्राप्त कर सकता है, और स्वर्ग में अनन्त जीवन का आनंद ले सकता है।
मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूं कि आप परमेश्वर के इस प्रेम को महसूस कर सके, सच्चा हृदय और पूरा विश्वास प्राप्त कर सकें, और इस तरह परमेश्वर की संतान के रूप में अनन्त स्वर्ग में प्रवेश कर सकें।
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