यीशु के कोड़े खाने और लहू बहाने का प्रावधान। The Providence of Jesus Being Scourged and Shedding of His Blood -The Message of the Cross (12)
वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर कर के धामिर्कता के लिये जीवन बिताएं उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए।” (1 पतरस 2:24)।
यीशु देह में होकर संसार में आया और पृथ्वी पर सभी प्रकार के कष्टों को सहा। उसने अंत में अपने प्रेम को क्रूस पर दिखा कर मनुष्यों के उद्धार का मार्ग खोला। आइऐं आज हम यीशु के कोड़े खाने और उसके लहू बहाने के प्रावधान के बारे में जाने।( providence of Jesus being scourged and shedding of His blood)
- यीशु को कोड़े मारे गए और उसका लहू बहाया गया। (Jesus Being Scourged and Shedding of His Blood )
क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले, यीशु को उसके पूरे शरीर पर कोड़े मारे गए थे। वह एक बिंदु पर इतनी गंभीर रूप से घायल हो गया था कि उसकी हड्डियों भी उसकी त्वचा के नीचे दिखने लगी।
जब रोमी सेना में एक सुप्रशिक्षित सैनिक ने चाबुक नामक एक कोड़ा मारा, तो उसने यीशु के शरीर को डेढ़ बार लपेटा और उसके मांस को फाड़ दिया। कोड़े के अंत में नुकीले, काँटे जैसी धातु की वस्तुएँ थीं जिसने उसके मांस को छेदा था और जब सिपाही ने चाबुक को वापस खींचा, तो इन नुकीले धातु ने अपने साथ मांस के टुकड़े को भी फाड़ दिया।
यीशु को इस तरह के भयंकर कष्टों और उसके लहू को बहा देने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा? यशायाह 53ः5 में बाद में हम पढ़ते है कि, और उसके कोड़े लगने से हम चंगे हो गए। यीशु को कोड़े मारे गए और उसने हमें कई तरह की बीमारियों से चंगा करने के लिए अपना लहू बहाया।
मत्ती 9:2 में यीशु ने एक लकवे के मारे हुए से कहा, हे पुत्र, ढाढ़स बान्ध तेरे पाप क्षमा हुए। हम देखते हैं कि लकवे के रोगी को चंगा करने से पहले उसने पाप की समस्या को ध्यान में रखा। यूहन्ना 5ः14 में यीशु ने एक बीमार व्यक्ति से भी कहा,
देख, तू तो चंगा हो गया है फिर से पाप मत करना, ऐसा न हो कि इस से कोई भारी विपत्ति तुझ पर आ पड़े।” यह हमें याद दिलाता है कि भले ही हमने पश्चाताप किया हो और हमारे पापों के लिए परमेश्वर की क्षमा प्राप्त की हो, यदि हम पापी जीवन के रास्ते पर फिर से लौट जाते हैं, तो हम पर ऐसी बीमारी आ सकती हैं जो पहले से कहीं अधिक बदतर हो।
बीमारी की जड़ पाप है और क्योंकि बीमारी के प्रायश्चित के लिए लहू के बहाए जाने की आवश्यकता होती है (इब्रानियों 9:22), यीशु ने कोड़े खाकर और अपना लहू बहाकर हमें सभी प्रकार के रोगों से मुक्त कर दिया।
- हमें विश्वास करना चाहिए कि यीशु ने हमारे लिए कोड़े खाए और कहना चाहिए कि हम इस पर विष्वास करते है।
1 पतरस 2:24 कहता है, उसके कोड़े खाने के कारण तुम चंगे हो गए। इस प्रकार, जो कोई यह मानता है कि यीशु ने हमें कोड़े खाकर और अपना लहू बहाकर हमारी बीमारियों से छुटकारा दिलाया है, उसे अब किसी भी लाइलाज बीमारी या बीमारी से पीड़ित होने की आवश्यकता नहीं है (मत्ती 8:17)।
कुछ लोग कहते हैं, मैं कभी-कभी पाप करता हूं क्योंकि मैं कमजोर हूं। मनुष्य के लिए परमेश्वर के वचन के अनुसार पूरी तरह से जीना कठिन है। हालाँकि, ध्यान दें कि नीतिवचन 18:21 कहता है, मृत्यु और जीवन जीभ के वष में हैं, और जो लोग इसे काम मे लाना जानते हैं वे इसका फल खाएंगे। जब आप किसी भी स्थिति या परिस्थितियों में अंगीकार करते हैं, मैं मजबूत हूं और परमेष्वर के अनुग्रह से आत्मा से भरा हूं, आपके विश्वास के अंगीकार के अनुसार, आप परमेष्वर के अनुग्रह और ताकत प्राप्त करेंगे, आसानी से थकान को दूर करेंगे, और असंभव, संभव में बदल जायेगा।
चंगाई के लिए प्रार्थना ग्रहण करते समय यदि आप यह अंगीकार करने की बजाय, कि मुझे विश्वास है कि मैं प्रार्थना के द्वारा चंगा हो जाऊंगा, यदि आप यह कहे कि मैं विश्वास करता हूं कि मैं पहले से ही चंगा हो गया हूं, परमेश्वर आपके विश्वास के अंगीकार के अनुसार अपना काम करेगा। अब, कुछ लोग पूछ सकते हैं, कि जब मैं अभी भी दर्द महसूस कर रहा हूं तो मैं कैसे कह सकता हूं कि मैं चंगा हो गया हूं? क्या मैं झूठ नहीं बोलूंगा?” यदि उन्हें आत्मिक विश्वास का सही ज्ञान है, तो वे आसानी से इसे समझ पाएंगे।
जैसा कि इब्रानियों 11: 1 हमें बताता है, अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है। विष्वास यह नही कि चीजो को देखने के बाद उस चीज का अंगीकार करें। यह चीजांे को प्रमाण है हांलाकि वो दिखाई नही देती, जैसे ही आप विष्वास के साथ आषा करते है अपने होठों के साथ अंगीकार करते हुए, मुझे विश्वास है। जब आप हृदय से विश्वास नहीं करते हैं तो आप उन चीजों को प्राप्त नही कर पाऐंगेें जिसकी आपने आशा की थी। केवल जब आप विश्वास के साथ अंगीकार करते हैं, जिस पर आप विश्वास कर सकते हैं, तो आप उन चीजों की आषा कर सकते है।
यदि आप हृदय से विश्वास करते हैं और अपने होठों से अंगीकार करते हैं, परमेष्वर की सामर्थ से, बीमारियों और कमजोरियों ने मेरे शरीर को छोड़ दिया है, तब हमारे परमेष्वर आपके विश्वास के अनुसार अपना काम करेंगे। यदि आप इस तरह विश्वास या अंगीकार करने में असमर्थ हैं, तो रोग आपको नहीं छोड़ेंगे क्योंकि आप अभी भी सोचते हैं, कि मैं अभी भी दर्द में हूँ। मैं चंगा नहीं हुआ।” विश्वास के बिना आपे केवल दर्द और पीड़ा में ही रहेंगे। इस तरह के नकारात्मक विचारों के कारण, आप परमेष्वर के कार्य का अनुभव नहीं कर पाएंगे।
- कुछ लोग कहते हैं मुझे विश्वास है लेकिन अभी भी चंगाई प्राप्त करने में असमर्थ हूं।
यदि लोग लगातार बीमारी से पीड़ित होते हैं, भले ही वो कहते हैं कि वे विष्वास करते हैं कि यीशु ने कोड़े खाऐं और कोड़े खाने के द्वारा उसने उन्हंे बिमारियों से छुटकारा दिलाया, ऐसा इसलिए है क्योंकि वो परमेष्वर की धार्मिकता के अनुसार नहीं जीयें।
निर्गमन 15ः26 कहता है कि, “ कि यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसकी दृष्टि में ठीक है वही करे, और उसकी आज्ञाओं पर कान लगाए, और उसकी सब विधियों को माने, तो जितने रोग मैं ने मिस्रियों पर भेजा है उन में से एक भी तुझ पर न भेजूंगा क्योंकि मैं तुम्हारा चंगा करने वाला यहोवा हूं। आत्मिक वचनों में, मिस्र यहाँ उस संसार को संदर्भित करता है जिसमें हम रहते हैं
और दस विपत्तियाँ जो मिस्र पर पड़ी हैं, इस संसार में मौजूद सभी बीमारियों को संदर्भित करती हैं। हम अगर परमेश्वर की आज्ञाओं के अनुसार जीवन जीऐं और, हम किसी भी प्रकार के रोगों के अधीन नहीं होंगे। यहां तक कि अगर हम बीमार पड़ जाते हैं, तो एक बार जब हम पश्चाताप करते हैं और अपने मार्गों से फिरते हैं, तो परमेष्वर हम चंगा करेगा।
फिर भी, आपको अपनी दृष्टि से नहीं, बल्कि परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी होना होगा। मनुष्यों की धार्मिकता एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती है क्योंकि जीवन की परिस्थितियाँ और मूल्य जिनके तहत लोगों ने बड़े होते हुए देखा, सुना और सीखा है, वे अलग अलग हैं। एक व्यक्ति यह मान सकता है कि उसका व्यवहार धर्मी है, लेकिन दूसरा व्यक्ति उसे अधर्मी महसूस कर सकता है।
चीजें वास्तव में केवल तभी धर्मी होती हैं जब परमेश्वर उन्हें धर्मी मानता है, और एकमात्र मापदंड परमेश्वर का वचन है, जो स्वयं सत्य है। उदाहरण के लिए, जब उनका बच्चा पीटे जाने के बाद रोता हुआ घर आता है, तो माता-पिता परेशान हो जाते हैं और दूसरे बच्चों के माता-पिता से बात करने की कोशिश करते हैं। हालाँकि, परमेश्वर की धार्मिकता हमें बताती है, जो कोई तुम्हारे एक गाल पर मारे, उसकी ओर दूसरा भी फेर दो, मेलमिलाप के खोजी हो, और अपने षत्रुओं से भी प्रेम करो। आप महसूस कर सकते हैं कि आप परमेश्वर की धार्मिकता का पालन करने में नुकसान उठा रहे हैं, लेकिन अंत में परमेश्वर आपको पहचानेगा और आपको ऊपर उठाऐगा।
कुछ लोग शायद सोचें, “मैं परमेश्वर की सभी आज्ञाओं का पालन कैसे कर सकता हूँ?” लेकिन परमेष्वर की आज्ञाओं को निभाना और जीना कोई मुश्किल काम नहीं है। यदि आप विश्वास करते हैं और अपना जीवन हमेशा यह याद दिलाते हुए जीयें, कि पवित्र आत्मा हमेशा मेरी मदद करता है और क्योंकि परमेश्वर मुझे अनुग्रह और सामर्थ देता है, मैं इसे आसानी से कर सकता हूं, तो यह आसान हो जाता है। यदि आप परमेश्वर से प्रेम करते हैं और अपनी आँखें स्वर्ग की महिमा और प्रतिफलों पर लगाते हैं, तो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना कोई कठिन कार्य नहीं है।
यदि आप सोच रहे हैं, मेरे पास दूर करने के लिए बहुत सारे पाप हैं और मुझे उन सभी को बाहर फेंकने में बहुत समय लग जाऐगा। उन पापों की सूची बनाने की कोशिश करें जिन्हे आपको बाहर फेंकने में सबसे अधिक कठिनाई होती है। यह वैसा ही है जैसा कि एक बार सबसे बड़ी जड़ें जमीन से बाहर खींच ली जाती हैं, छोटी जड़ें भी आसानी से बाहर आ जाती हैं। जब लोग अंधकार से बाहर निकलेंगे और ज्योति में चलना शुरू करेंगे, तो परमेश्वर के रास्ते में खड़ी पाप की दीवार नष्ट हो जाएगी। जिस विश्वास से वो विश्वास कर सकते हैं, वो उसके अनुसार परमेश्वर के कार्यों का अनुभव कर सकेंगे।
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, जैसा कि उसे कोड़े मारे गए और उसका लहू बहाया गया, यीशु ने हमें हमारे सभी रोगों और दुर्बलताओं से छुड़ाया। चूंकि आप इस चंगा करने वाले प्रभु से मिले है, मुझे आशा है कि आप अपने सभी रोगों से पूरी तरह से चंगे हो जायेंगेे और मेहनत से परमेश्वर की आज्ञाओं को मानेंगे।
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