नेफिलिम और पराक्रमी पुरुष कौन थे? Who were the Nephilim and Mighty men ?
शुक्रवार के दिन, कई विश्वासी उत्पत्ति पर रेंव डॉ जेरॉक ली के आकर्षक व्याख्यानों को सुनने के लिए लालसा रखे रहते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि व्याख्यान कई विषयों पर उनकी जिज्ञासा को संतुष्ट करते हैं जैसे कि सृष्टिकर्ता परमेश्वर का क्षेत्र, आत्मिक क्षेत्र में घटित चीजें, पृथ्वी का निर्माण, अदन की वाटिका, यूएफओ, डायनासोर और पिरामिड। इन बातों में से अब हम ’नेफिलीम’ और ’पराक्रमी पुरुषों’ (Who were the Nephilim and Mighty men ?) पर एक नज़र डालने जा रहे हैं, जैसा कि उत्पत्ति अध्याय 6 में दर्ज है।
अदन की वाटिका में आदम के वंशज और आदम के पाप करने के तुरंत बाद की अवधि
सृष्टिकर्ता परमेश्वर ने पृथ्वी की रचना करने के बाद मनुष्य को मिट्टी से बनाया। उसने आदम के नथनों में जीवन का श्वास फूँक दिया और मनुष्य जीवित प्राणी बन गया। परमेश्वर ने अदन में बहुतायत की वाटिका लगाई। उस ने उस मनुष्य को जिसे उस ने रचा था, वहां रखा, और उस ने उसे सब कुछ सिखाया। फिर उसने उसे सृष्टि के स्वामी के रूप में अधिकार और आशीषों का आनंद लेने की आशीष दी।
परमेश्वर ने उत्पत्ति 1ः28 में आदम और हव्वा को आशीष दी, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो। जैसा लिखा है, आदम, जीवित प्राणी के रूप में, अपने सहायक हव्वा के साथ फलदायी और गुणा हुआ। अनगिनत वर्षों में अदन की वाटिका में उनके अनगिनत वंशज हुए।
आदम ने अदन की वाटिका और पृथ्वी को विरासत में प्राप्त किया और सारी सृष्टि के स्वामी के रूप में सभी प्राणियों के ऊपर शासन किया। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने आदम को न केवल अदन की वाटिका को वश में करने और चलाने की अनुमति दी बल्कि पृथ्वी पर हर चीज को अपने अधीन करने और उस पर शासन करने की भी अनुमति दी।
हालाँकि, आदम एक जीवित प्राणी था, और वह एक सिद्ध आत्मिक प्राणी नहीं था। अनगिनत वर्षों के बाद, उसने अंत में परमेश्वर के वचन की अनज्ञाकारी की, अर्थात, उसने भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाया। उत्पत्ति 2ः16-17 में परमेश्वर ने उससे कहा था, कि तू वाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता हैः पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खानाः क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्य मर जाएगा॥ परमेश्वर ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि भले और बुरे के ज्ञान का वृक्ष परमेश्वर के अधिकार और संप्रभुता का प्रतीक है।
आदम के इस प्रकार पाप करने के बाद स्थिति उलट गई। पाप करने से पहले, वह अदन की वाटिका का स्वामी था और उसने अपने वंशजों के साथ बनाई उड़न तस्तरी के द्वारा अदन की वाटिका और पृथ्वी के बीच स्वतंत्र रूप से यात्रा की। लेकिन आदम को वाटिका से बाहर निकाल दिया गया और उसके वंशजों की पृथ्वी पर यात्रा भी सीमित कर दी गई थी।
नेफिलीम(दानव) – परमेश्वर के पुत्रों के वंशज जो आदम के साथ पृथ्वी पर बस गए जिसने पाप किया था ।
कुछ वंशज जिन्हें आदम ने अदन की वाटिका में जन्म दिया था, उनके दिल लालसा करने लगे जब उन्होंने देखा कि आदम ने पृथ्वी पर अपने जीवन का प्रबंधन किया। तुलना करने पर, जिस वाटिका में वे रहते थे, वहां धरती से कहीं बेहतर वातावरण था। हालाँकि, इस धरती पर आदम का जीवन उन्हें अच्छा और नया लगा।
विशेष रूप से, जिन्हें स्वयं आदम और हव्वा ने जन्म दिया था, वे अपने प्यारे माता-पिता के साथ रहना चाहते थे। और इसलिए, उन्होंने इस धरती को चुनने और अपने आप से बसने के लिए वाटिका को छोड़ दिया। जब वे नीचे आ रहे थे, तो वे कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि उनके लिए केवल हमेशा का जीवन जीना असंभव होगा जैसे कि वो वाटिका में जी रहे थे
चूँकि पहले शरीर का औसत जीवन काल लगभग 900 साल था, उन्होंने सोचा कि वे वाटिका की तरह हमेशा के लिए एक साथ जीवन जी सकते हैं। इसलिए उन्होंने पृथ्वी पर के जीवन को चुना। हालाँकि, यह चुनाव करने वालों की संख्या बहुत अधिक नहीं थी।
वे ’परमेश्वर के पुत्र’ हैं, अर्थात् आदम के वंशज जो आदम के प्रति अपने प्रेम के कारण पृथ्वी पर बस गए। पृथ्वी पर बसने के बाद, उन्होंने मनुष्यो की बेटियों को अपनी पत्नियों के रूप में लिया। जैसे अदन के वाटिका में, उन्होंने विवाह किया और परमेश्वर द्वारा निर्धारित आदेश का पालन करते हुए बच्चों को जन्म दिया। उनके बच्चे ’नेफिलिम’ थे जो उत्पत्ति 6ः4 में नजर आते हैं।
नेफिलीम दिखने में बहुत ही असाधारण थे। चूंकि वे ’परमेश्वर के पुत्रों’ की ऊर्जा से पैदा हुए थे, इसलिए वे इस धरती के सामान्य लोगों से अलग थे। भले ही नेफिलीम लोगों के पूर्वजों ने इस पृथ्वी पर जीवन को चुना, फिर भी उन्होंने स्वयं को पापों से दागदार नहीं किया। इसलिए, उनकी अच्छी प्रवृत्तियाँ- वाटिका के एक व्यक्ति का उत्कृष्ट स्वभाव-उनके बच्चों को विरासत में मिला था।
पराक्रमी पुरुष-परमेश्वर के पुत्रों के वंशज जो अदन की वाटिका और पृथ्वी के बीच यात्रा करते थे और वासना के लिए जीते थे
आदम के इस पृथ्वी पर निकाले जाने के बाद, जो ’परमेश्वर के पुत्र’ थे वे पृथ्वी की स्थिति के बारे में उत्सुक थे। वे देखना चाहते थे कि उनके पूर्वज आदम ने अपना जीवन कैसे व्यतीत किया। उनमें से कुछ आदम की तरह पृथ्वी पर बस गए क्योंकि वे आदम से प्यार करते थे और कुछ अन्य आते-जाते रहे और अपनी वासनाओं के पीछे चलते रहे। जो लोग पृथ्वी पर बस गए उन्होंने कोई समस्या नहीं खड़ी की ।
दूसरी ओर, अदन की वाटिका से आदम के वंषज जो आते-जाते रहे, वे भ्रष्ट हो गए और मुसीबत ले आए। अर्थात वे पापों से दागदार हो गए। चूँकि अदन की वाटिका में वे ’सिद्ध आत्माऐं’ नहीं बल्कि ’जीवित आत्माऐं’ हैं, जैसा कि उत्पत्ति 6ः2 कहता है, तब परमेश्वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा, कि वे सुन्दर हैं; सो उन्होंने जिस जिस को चाहा उन से ब्याह कर लिया। जिसकी वजह से क्रम भंग हो गया और परमेश्वर का क्रोध भड़क उठा ।
इसके अलावा, जब उन्होंने वाटिका और इस पृथ्वी के बीच यात्रा की, तो उन्होंने न केवल इस पृथ्वी के क्रम को, बल्कि वाटिका के क्रम को भी खतरे में डाल दिया। जैसे ही परमेश्वर ने देखा कि स्थिति गंभीर होती जा रही है, वह पछताया और दुखी हुआ।
उत्पत्ति 6ः3 इसे स्पष्ट करता है। यह कहता है, “तब यहोवा ने कहा, ’मेरा आत्मा मनुष्य से सदा लों विवाद करता न रहेगा, क्योंकि वह भी (शरीर) है; तौभी उसकी आयु एक सौ बीस वर्ष की होगी।’“ चूँकि परमेश्वर दया और जुनून से भरा है, उसने बिना चेतावनी दिये उनका न्याय नहीं किया; उसने शुरू में ही उन्हें चेतावनी दी।
’परमेष्वर के पुत्र’ वे थे जो मूल रूप से ज्योति के क्षेत्र, अदन की वाटिका में रहते थे। परन्तु वे इस पृथ्वी पर उतर आए, बुराई से कलंकित हो गए, और पाप और बुराई में जीवन व्यतीत किया; और इसलिए जल्द ही उनका परमेश्वर के साथ कोई लेना-देना नहीं रहा।
उत्पत्ति 6ः4 में ’परमेश्वर के पुत्रों’ के वंशज, जो वाटिका और पृथ्वी के बीच यात्रा करते थे और वासना की खोज करते थे, वे शक्तिशाली पुरुष थे। वे शारीरिक रूप से भी उत्कृष्ट थे। इसलिए, उन्हें आसानी से कहीं भी देखा जा सकता था और आम लोगों द्वारा उन्हें बहुत खास माना जाता था। इसके अलावा, वे शारीरिक स्थिति और ज्ञान में उत्कृष्ट थे, इस प्रकार, उनमें से कुछ पराक्रमी पुरुष बन गए।
हालाँकि, उनके वंशज पीढ़ी-दर-पीढ़ी बेहतर ऊर्जा प्राप्त नहीं कर सके। अंततः उनकी बाद की पीढ़ियाँ तेजी से शरीर द्वारा दागी गईं, और वे शरीर के मनुष्य बन गए। इसलिए, तीसरी पीढ़ी से, वे इस पृथ्वी के लोगों से बहुत भिन्न नहीं थे। वे सभी मर गए और इस धरती के लोगों की याद में ’पौराणिक लोग’ बनकर रह गए। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि उनकी कोई भी संतान बाढ़ के न्याय से नहीं बची, और ’परमेश्वर के पुत्रों’ के वंशज भी विलुप्त हो गए।
आखिर पिरामिड को कब और किसने बनाया था ? – जानने के लिए यहां क्लिक करे
क्या वास्तव में स्वर्गदूत होते है? – जानने के लिए यहां क्लिक करे
हमारे Youtube Channel से जुड़ने के लिए यहां – क्लिक करें
मैंने आदम और हव्वा के बारे में पढ़ा। आदम के बारे में पढ़ने के बाद। मैं बहुत खुश हुआ। बहुत गहरी बातों के बारे में पता चला पिता परमेश्वर का अनुग्रह इसी तरह बढ़ता जाए धन्यवाद पिताजी