धन्य हैं वे जो धर्म के कारण सताए जाते हैं क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। – धन्यवचन (8)
धन्य हैं वे जो धर्म के कारण सताए जाते हैं क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। मत्ती 5ः10
धन्यवचन, आठंवी आशीष, जो लोग सोचते हैं उससे काफी अलग हैं। मत्ती 5 में धन्यवचन, सच्ची आशीषों को प्राप्त करने का मार्ग है, जैसे मन के दीन होकर स्वर्गीय राज्य का अधिकारी होना और धार्मिकता के कारण सताए जाने के द्वारा परमेश्वर के हृदय के सदृश होना।
अब, धार्मिकता के लिए सताया जाना क्या है, और वास्तव में परमेश्वर द्वारा दी गई सच्ची और अनन्त आशीष क्या है?
धन्य हैं वे जो धर्म के कारण सताए जाते हैं क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। – धन्यवचन (8)
- वे लोग जिन्हें धार्मिकता के लिए सताया गया।
धार्मिकता के लिए सताए जाने का अर्थ तब सताया जाना है जब आप परमेश्वर के वचन के अनुसार जीने की कोशिश करते हैं और सत्य, भलाई और ज्योति का अनुसरण करते हैं। यदि आप यीशु मसीह में विश्वास करते हैं, तो भी संसार के साथ समझौता करने पर आपको सताया नहीं जाएगा।
हालांकि, 2 तिमीथियुस 3ः12 कहता है, वास्तव में, जितने मसीह यीशु में भक्ति से जीवन बिताना चाहते हैं, वे सब सताए जाएंगे।
मान लीजिए कि आप शराब पीते थे और प्रभु को ग्रहण करने से पहले आपके शब्द और व्यवहार कठोर थे। हालाँकि, जब आप प्रभु को ग्रहण करते हैं, तो आप शराब पीना छोड़ देते हैं और एक धार्मिक जीवन जीने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार, अब आप अपने सहकर्मियों या मित्रों के साथ समय व्यतीत नहीं करते हैं। अगर आप ऐसा करते भी हैं, तो आपको यह मजेदार नहीं लगता,
और हो सकता है कि उन्हें यह बात पसंद न आए कि अब आप अलग हैं। या, अब आप रविवार को उनसे मिलने या अन्य सामाजिक समारोहों में नहीं जाते क्योंकि आपको चर्च जाना है। कोरिया में, आपको अपने परिवार के सदस्यों द्वारा इस तथ्य के लिए सताया जा सकता है कि अब आप अपने पूर्वजों की पूजा नहीं करते हैं।
हमारे विश्वास के लिए हमारा मुष्किलों का सामना करने का कारण यह है कि ज्योति और अंधकार कभी एक साथ नहीं रह सकते। यह ऐसा है जैसे पानी और तेल को मिलाया नहीं जा सकता। जब ज्योति आती है, तो अंधकार मिट जाता है। इसी तरह से, परमेश्वर की संतान जितनी अधिक ज्योति बनेंगे, शैतान और अंधकार के शासकों, के पास उतनी ही कम सामर्थ होगी।
इस कारण शत्रु, दुष्ट और शैतान उन अविश्वासियों को उकसाते हैं जो उनके हैं कि वे परमेश्वर की संतानों से घृणा करें और उन्हें सताएं जो ज्योति में हैं, ताकि वे अपना विश्वास त्याग दें। हालाँकि, धार्मिकता के लिए सताए जाने की तुलना में अधिक बार ऐसा होता है कि विश्वासी स्वयं पर सताव लाते हैं। कुछ विश्वासी कलीसिया की गतिविधियों पर इस हद तक ध्यान केंद्रित करते हैं कि वे अपनी पढ़ाई या घर के कामों पर ध्यान नही देते। लेकिन जब उन्हें उनके कार्यों के लिए सताया जाता है, तो वे गलती से सोचते हैं कि उन्हें धार्मिकता के लिए सताया गया है।
यीशु ने मरकुस 10ः29-30, में कहा, यीशु ने कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि ऐसा कोई नहीं, जिस ने मेरे और सुसमाचार के लिये घर या भाइयों या बहनों या माता या पिता या लड़के-बालों या खेतों को छोड़ दिया हो। और अब इस समय सौ गुणा न पाए, घरों और भाइयों और बहनों और माताओं और लड़के-बालों और खेतों को पर उपद्रव के साथ और परलोक में अनन्त जीवन।
- धन्य हैं वे जिन्हें धार्मिकता के कारण सताया जाता है।
मत्ती 5ः10 कहता है, धन्य हैं वे जो धर्म के कारण सताए गए, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। ऐसा क्यों कहते हैं कि वे लोग धन्य हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें स्वर्ग का राज्य मिल सकता है जहाँ अनन्त खुषी है।
जैसे-जैसे हम धार्मिकता में चलने के द्वारा संसार के सतावों पर विजय प्राप्त करते हैं, हमारा विश्वास दृढ़ होता जाएगा और हम और अधिक सिद्ध व्यक्ति बन जाएंगे। हम उस अंधकार को भी महसूस कर सकते हैं, जो हमारे हृदय में गहराई से बसा हुआ है, ताकि हम नम्रता और शांति को जोत सकें, हम प्रभु के हृदय को जोतने में भी सक्षम होंगे जिसके साथ हम अपने शत्रुओं से भी प्रेम कर सकते हैं।
भजन संहिता 119ः71 कहता है, मुझे जो दुख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं। हम अपने आपको सतावों के द्वारा दीन कर सकते है। सताव उस हद तक दूर हो जाएगा कि हम पाप और बुराई को दूर करने और पवित्रता को जोतने के लिए प्रभु पर निर्भर रहते हैं।
जैसे-जैसे हमें धार्मिकता के लिए सताया जाता है, हमारा विश्वास बढ़ता है और हमारे आस-पास के लोग हमारा सम्मान करते हैं। हम आत्मा और शरीर में भी परमेश्वर की आशीषें प्राप्त करेंगे। इसके अलावा, हम बलपूर्वक बेहतर स्वर्गीय निवास स्थान को ले सकते हैं। यह कितनी महान आशीष है।
यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करके, हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का अधिकार प्राप्त करते हैं। उसके बाद, हम अपने हृदय में बुराई को महसूस करना शुरू कर देते हैं और उसे दूर कर देते हैं ताकि हम हृदय में नम्र और शुद्ध बन सकें। जैसे-जैसे हम धार्मिकता का अनुसरण करते रहेंगे, हमारा विश्वास बढ़ता जाएगा, और इस तरह, हम स्वर्ग में एक बेहतर निवास स्थान में जा सकते हैं और परमेश्वर से आमने-सामने मिल सकते हैं।
जब हम धार्मिकता के लिए सताए जाते हैं तो हम परमेश्वर की सच्ची संतान बन सकते हैं जब हम यीशु मसीह के हृदय के सदृष बनने के लिए हृदय की पवित्रता जोतते हैं और जब हम अपने परमेश्वर के द्वारा दिए गए कर्तव्यों को पूरा करते हैं। इस बात पर निर्भर करते हुए, हमारे स्वर्गीय निवास स्थान और प्रतिफल भिन्न होंगे (यूहन्ना 14ः2, 1कुरि० 15ः41)।
आनन्दित और मगन होना।
मत्ती 5ः11-12 कहता है, धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें।
आनन्दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा प्रतिफल है इसलिये कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहले थे इसी रीति से सताया था। बहुत पहले विश्वास के बहुत से लोगों ने परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए स्वेच्छा से पीडा सही। परमेश्वर के लोग इसलिए पीड़ित नहीं हैं क्योंकि वे कमजोर हैं। वे जानते थे कि परमेश्वर की योजना उनके सताए जाने से पूरी होगी, और इस कारण से उन्होंने सतावों से बचने की कोशिश नहीं की बल्कि उन्हें खुशी के साथ स्वीकार किया।
प्रेरित पौलुस ने अन्यजातियों को सुसमाचार का प्रचार किया और विश्व सुसमाचार प्रचार की नींव रखी। उसने अपनी 3 मिशनरी यात्राओं के माध्यम से विभिन्न देशों में कई चर्चों की स्थापना की। हालाँकि, उसके कार्य बिल्कुल भी आसान नहीं थे (2 कुरि० 11ः23-37 )।
प्रेरितों के काम 23ः12 कहता है, जब दिन हुआ, तो यहूदियों ने एका किया, और शपथ खाई कि जब तक हम पौलुस को मार न डालें, तब तक खांए या पीएं तो हम पर धिक्कार और फिर भी, पौलुस धन्यवादी और आनन्दित था क्योंकि उसके पास स्वर्ग की आशा थी। वह मृत्यु तक विश्वासयोग्य रहा। (फिलि० 2रू17 , 2 तीमु. 4रू7-8)। जब हम प्रभु के नाम के लिए सताए जाते हैं तो हम आनन्दित हो सकते हैं इसका कारण यह है कि हमें महान स्वर्गीय प्रतिफल मिलेंगे।
स्वर्ग में विभिन्न प्रकार के मुकुट हैं जिनमें धार्मिकता का मुकुट भी शामिल है जिसका उल्लेख पौलुस ने किया था। घर कीमती पत्थरों से बने होते हैं। ऐसे अद्भुत प्रतिफल और महिमा स्वर्ग में हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन लोगों के लिए जिन्हें केवल प्रभु के नाम के लिए सताया जाता है, परमेश्वर यह दिखाने के लिए उनकी सभी जरूरतों को पूरा करेगा कि परमेश्वर उनके साथ है। जैसे-जैसे हम प्रभु में पीडाओं पर विजय प्राप्त करते हैं, सामर्थ और अधिकार अधिक होता जाएगा। जैसे-जैसे हम परमेश्वर के साथ और अधिक गहराई से संवाद करते हैं, सामर्थ भी अधिक होती जाती है।
वे जो प्रभु की पीडाओं में भाग लेते हैं।
हमें यहां एक बात याद रखनी है। जब परमेश्वर का जन प्रभु के लिए दुख उठाएगा, तो बाद में आशीषें उन पर भी आऐंगी जो परमेश्वर के भक्त के साथ हैं।
जब दाऊद अबशलोम के विद्रोह के समय भाग रहा था, तो ऐसे लोग जिनका हृदय सत्य था वो जान गए थे कि दाऊद परमेश्वर का भक्त है, और वे अपने प्राणों की धमकियों में भी उसके साथ थे। जब दाऊद ने अंततः परमेश्वर के अनुग्रह को पुनः प्राप्त किया, तो उन्होंने एक साथ अनुग्रह प्राप्त किया। जब परमेश्वर का जन प्रभु के नाम के लिए दुख उठाएगा, तो जो सच्चे मन से उसके साथ होंगे, वे उसके साथ महिमा प्राप्त करेंगे।
यीशु ने अपने चेलों को आशा देने के लिए उन स्वर्गीय प्रतिफलों के बारे में भी बताया जो उन्हें बाद में प्राप्त होंगे। लूका 22ः28-30 कहता है, तुम वे हो जो मेरी परीक्षाओं में मेरे साथ खड़े रहे और जैसे मेरे पिता ने मुझे राज्य दिया है, वैसे ही मैं तुम्हें देता हूं कि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज पर खाओ-पीओ, और तुम सिंहासन पर विराजमान होकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करोगे।”
इसलिए, यदि आपको सुसमाचार के लिए सताया जाता है, तो मुझे आशा है कि आप आनन्दित होंगे और स्वर्ग में अनन्त प्रतिफलों की आशा के साथ-साथ इस पृथ्वी पर आपको दी जाने वाली आशीषों से खुष होंगे।
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, जो परमेश्वर के वचन में रहते हैं, उन्हें डरने की कोई बात नहीं है, क्योंकि परमेश्वर सभी आशीषों का स्रोत है। वे अंततः परमेश्वर के प्रेम और आशीषों का अनुभव करेंगे। आप हमारे सामने प्रकट होने वाली महिमा की आशा के साथ धन्यवाद के साथ अपने हृदय में धन्य वचनों को जोत करके परमेश्वर से अनंत और सच्ची आशीषें प्राप्त करें, मैं प्रभु के नाम से यह प्रार्थना करता हूं।
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