god created man

क्रूस का संदेश (5) परमेश्वर ने मनुष्य को बनाया। God Created Man – Message of Cross (5)

और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया और आदम जीवता प्राणी बन गया। (उत्पत्ति 2ः7)।

उत्पत्ति के पहले अध्याय में परमेश्वर द्वारा आकाश, पृथ्वी, और उन सभी चीजों, और मानव जाति को बनाने की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। दूसरा अध्याय हमें बताता है कि परमेश्वर ने अदन की वाटिका को बनाया और पहले मनुष्य की वहां पर अगुवाई की। अब आइए देखें कि परमेश्वर ने मनुष्य को क्यों बनाया?

  1. मनुष्य को परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया।

उत्पत्ति 2ः7 में लिखा है, और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया और आदम जीवता प्राणी बन गया।” जबकि परमेश्वर ने अपने वचन के द्वारा ब्रह्मांड में बाकी सब कुछ बनाया, उसने व्यक्तिगत रूप से मनुष्य को भूमि की मिट्टी से रचा। परमेश्वर ने दोषरहित मनुष्य की रचना की और जब परमेश्वर ने उसके नथुनों में जीवन की सांस फूंकी तब मनुष्य एक जीवित प्राणी बन गया।(God created man of dust from ground)

कुछ लोग संदेह के साथ कह सकते हैं, भूमि की मिट्टी से बने स्वरूप में कैसे जीवन आ सकता है और चल सकता है? लेकिन रोबोट, कंप्यूटर, बनावटी आंतरिक अंगों या बनावटी त्वचा के बारे में सोचें। जब मनुष्य ऐसी चीजें बना सकते हैं, और तो निश्चित रूप से परमेश्वर मनुष्य को बनाने में सक्षम था। क्योंकि लोगों के विचारों की एक सीमा है, इसीलिए वोे परमेश्वर की सामर्थ पर विश्वास नहीं कर सकते।

आदम और हव्वा को बनाने के बाद, सृष्टिकर्ता परमेश्वर ने उन्हें जीवन का बीज दिया ताकि वे वंशजों को जन्म दे सकें। एक पुरुष के पास शुक्राणु होता है और एक महिला के पास अंडा होता है, और शुक्राणु और अंडाणु में उनके सभी गुण होते हैं जैसे कि दिखावट, व्यक्तित्व, बुद्धि, आदतें इत्यादि। इसलिए उनके बच्चे उनसे मिलते जुलते हैं। फिर, मनुष्यजाति का पिता, आदम किससे सदृष होगा?

जैसा कि हम उत्पत्ति 1:27 में पढ़ते हैं, तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की, आदम को परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया था। बाहरी रूप के अलावा, मनुष्य की आत्मा भी परमेश्वर से आई है और उसकी आत्मा के सदृष है। आदम एक जीवित प्राणी था।

आदम की आत्मा, परमेश्वर की तरह, केवल भलाई, ज्योति और सत्य से भरी हुई थी। जब आदम ने भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाया और इस प्रकार परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया, उसके बाद उसके सभी वंशज पाप और बुराई में डूब गए और परमेश्वर के पवित्र स्वरूप को खो दिया।

  1. क्या कारण है कि परमेश्वर ने मनुष्यजाति को बनाया और उनकी जुताई करता है? The Reason Why God Created Man and Cultivates Them

अगर हमें इस सवाल का जवाब खोजना है और समझना है, कि हम इस धरती पर क्यों हैं? हमें इस प्रश्न का उत्तर देने में योग्य होना चाहिए, परमेश्वर ने हमें क्यों बनाया है और वह मनुष्यजाति की जुताई क्यों और कैसे कर रहा है? बाइबल में कई दृष्टान्त हैं जो भूमि पर खेती करने और फसल काटने का जिक्र करते हैं। मत्ती 13 में, यीशु ने मनुष्य के हृदय की तुलना चार विभिन्न प्रकार की भूमि से की। मत्ती 3 में गेहूं और भूसे के दृष्टान्त और मत्ती 13 में जंगली घास के एक दृष्टान्त के साथ, बाइबल हमें आने वाले न्याय के बारे में बताती है।

बाइबल में पाए जाने वाले ऐसे दृष्टान्तों के साथ, परमेश्वर हमें बताता है कि मनुष्यजाति को बनाने और संसार के इतिहास को नियंत्रित करने में उसका प्रावधान एक खेत की जुताई करने और उससे फसल काटने के समान है। जैसे एक किसान फसल के लिए अपने खेत की जुताई करता है, वैसे ही परमेश्वर आज हमारी जुताई कर रहा हैं।

परमेश्वर सच्ची संतान को प्राप्त करना चाहता है जिनके साथ वह प्रेम बांट सकें। अपनी आष्चर्यजनक सामर्थ और एक न्यायी के रूप में, सृष्टिकर्ता परमेश्वर के पास एक ओर स्पष्ट अधिकार और सख्त धार्मिकता है। दूसरी ओर, उसके पास मानवीय गुण भी हैं जो प्रेम, करुणा, दया, और इसी तरह की विशेषता है। क्योंकि परमेश्वर मनुष्यों की तरह आनन्दित, शोक या विलाप भी कर सकता है, अकेले रहने के बजाय वह उन्हें चाहता है जिनके साथ वह प्रेम बांट सके।

उसके पास पहले से ही अनगिनत स्वर्गीय सेना और स्वर्गदूत थे। हालाँकि, परमेश्वर सच्ची संतान चाहता था जो उसके प्रति अपने हार्दिक प्रेम और अपनी स्वतंत्र इच्छा से उसकी आज्ञा का पालन करें।

मान लीजिए घर पर आपके पास एक रोबोट है वह सब कुछ करेगा जो आप उसे करने के लिए कहेंगे और आपके पास आपका बच्चा है जो कभी-कभी परेशानी का कारण बन सकता है, लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होगा वह अंततः अपने माता-पिता की अनुग्रह और प्रेम के लिए आभारी होगा और आपके साथ प्रेम बांटेगा। आप दोनों में से किसे अधिक कीमती मानेंगे? रोबोट कितना भी आज्ञाकारी क्यों न हो, उसकी तुलना आपके बच्चे से नहीं की जा सकती जिसके साथ आप अपने हृदय की बात साझा कर सकते हैं। इसी तरह, परमेश्वर ने मनुष्यजाति की रचना की क्योंकि वह चाहता था कि उसकी संतान हों जो उसकी आज्ञा का पालन करें और अपनी स्वतंत्र इच्छा से उसके साथ अपने हृदय बांट सके।

  1. गेहूँ और भूसी।

एक किसान ने चाहे कितनी भी मेहनत से काम किया हो, कटनी के समय वह गेहूं के साथ-साथ भूसी भी काटेगा। हालांकि, क्योंकि भूसी अखाद्य है और एक ही खलिहान में एक साथ रखे जाने पर गेहूं को नुकसान पहुंचाऐगा, इसे केवल खाद या जलाने के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

उसी तरह, जब मनुष्यजाति की खेती समाप्त हो जाएगी, परमेश्वर गेहूँ को भूसी से अलग कर देगा। मत्ती 3ः12 में लिखा है, उसका सूप उस के हाथ में है, और वह अपना खलिहान अच्छी रीति से साफ करेगा, और अपने गेहूं को तो खत्ते में इकट्ठा करेगा, परन्तु भूसी को उस आग में जलाएगा जो बुझने की नही। यहाँ, ना बुझने वाली आग का अर्थ है नर्क की आग।

परमेश्वर के चुने हुए समय के अनुसार, अंतिम दिनों में जब वह मनुष्य जुताई को समाप्त कर देगा और हर उस व्यक्ति का न्याय करेगा जो इस संसार में जीयें। न्याय के समय, जो भूसी के समान हैं वे नर्क की आग में गिरेंगे।

यहाँ गेहूं उन लोगों को संदर्भित करता है जिन्होंने यीशु मसीह को स्वीकार किया है और परमेश्वर के लिए अपने प्रेम के साथ वचनों के अनुसार जीते हैं। उन्होंने परिश्रम से पाप और बुराई को दूर किया और उसके स्वरूप को पुनः प्राप्त किया। इसके विपरीत, भूसी उन सभी को संदर्भित करता है जिन्होंने परमेश्वर में विश्वास नहीं किया और यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार नहीं किया ।

एक बात जो आपको यहाँ ध्यान रखनी है वह यह है कि हर कोई जो चर्च में जाता है वह गेहूं नहीं है। यदि वे परमेश्वर के वचन को त्याग देते हैं और इसके बजाय अपनी सांसारिक इच्छाओं के अनुसार जीते हैं, तो परमेश्वर की दृष्टि में वे भूसी हैं। यही कारण है कि यीशु ने हमें मत्ती 7रू21 में कहा, हर कोई जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।”

परमेश्वर चाहता है कि सभी मनुष्य उसके हृदय को जानें, गेहूं बनें, और उद्धार प्राप्त करें (1 तीमुथियुस 2%4)। इसी कारण उसने हमें अपना एकलौता पुत्र हमारे लिए क्रूस पर मरने के लिए दिया है।

इन सबके बावजूद, जो लोग यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार किए बिना पाप में जीना जारी रखते हैं, वे परमेश्वर के स्वरूप में बनाए गए लोगों के रूप में अपने वास्तविक मूल्य को पुनः प्राप्त करने में असमर्थ होंगे। वे केवल भूसी की तरह हैं। भूसी को स्वर्ग में इकट्ठा नहीं किया जा सकता है। यदि घृणा, ईष्या, लोभ, कलह और अन्य प्रकार की बुराई से भरे लोगों को स्वर्ग में प्रवेश करने की अनुमति दी जायें तो वह भ्रष्ट हो जाएगा।

स्वर्ग में प्रवेश करने से रोके गए लोगों का क्या होगा? चूँकि प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा अमर है, वह विलुप्त नहीं हो सकती। उन्हें एक साथ इकट्ठा किया जाएगा, हमेशा के लिए नर्क में डाल दिया जाएगा, और उनके पापों की मजदूरी के अनुसार, उनमें से प्रत्येक को नर्क की आग में अनन्त दंड मिलेगा (अधिक जानकारी के लिए डॉ. जेरॉक ली द्वारा लिखित नर्क का संदर्भ लें)।

मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूं कि आप गेहूँ के समान विश्वासियों के रूप में सामने आएंगे, अर्थात परमेश्वर के सच्ची संतान के रूप में, परमेश्वर का अनुसरण करेंगे और एक पवित्र हृदय प्राप्त करेंगे और उसके साथ प्रेम साझा करेंगे और हमेशा के लिए स्वर्ग में रहेंगे।

हमारे Youtube Channel से जुड़ने के लिए यहां – क्लिक करें

क्रूस का संदेश 6 को पढ़ने के लिए यहां – क्लिक करें

This Post Has 2 Comments

  1. PUSHPA SOLANKI

    Prbhu yesu ko or jayda janna

    1. john

      aap hamare prathna kendra par sampark kar sakte hai – 9971624368

Leave a Reply