क्रूस का संदेश (7) समय की शुरआत से पहले तैयार किया गया मनुष्य जाति के लिए उद्धार का मार्ग। The Message of the Cross (7) The Way of Human Salvation Prepared before the Ages
और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें। (प्रेरितों के काम 4रू12)।
आप ऐसे लोगों से मिले होंगे जो आश्चर्य करते हैं कि कोई दूसरा नाम क्यों नहीं दिया जिसके द्वारा हमें बचाया जाना चाहिए, क्यों केवल यीशु मसीह का ही। आपने ऐसे लोगों का भी सामना किया होगा, जिनके इस बारे में आलोचनात्मक दृष्टिकोण थे। फिर, आइऐं अब उन कारणों को देंखेगेे कि क्यों केवल यीशु मसीह ही हमारा उद्धारकर्ता हो सकता है।
- समय की शुरआत से पहले तैयार किया गया मनुष्य जाति के लिए उद्धार का मार्ग।
दुर्भाग्य और संकट का अनुभव किए बिना, लोग खुशी की सराहना नहीं कर सकते। जब लोग दुःख और क्लेश से पीड़ित होते हैं, तभी वे सच्चे सुख के मूल्य को समझ सकते हैं और इसके लिए हृदय से आभारी हो सकते हैं। परमेश्वर ने भले और बुरे के ज्ञान का वृक्ष लगाया और आदम को उसका फल खाने से मना किया ताकि मनुष्य सापेक्षता को समझ सके। परमेश्वर ने आदम को स्वतंत्र इच्छा भी दी जिसके द्वारा वह स्वयं निर्णय ले सकता था और अंततः आदम ने परमेश्वर की आज्ञा को त्याग दिया और भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष से फल खा लिया।
उस प्रक्रिया का अवलोकन करना जिसमें आज लोग पाप और बुराई में डूबे हुए हैं, हमें उस प्रक्रिया को समझने में मदद करेगा कि कैसे बुराई आदम के अंदर आई। उदाहरण के लिए, एक बच्चा जो लगातार दूसरे बच्चों को मारता है, वह शुरू से ऐसा नहीं था। बेशक, उसके भीतर मूल पाप के कारण पापी स्वभाव था, जिसके साथ वह पैदा हुआ था। जब तक उसने अन्य बच्चों को मारने की उस बुरी आदत को विकसित नहीं किया, तब तक एक प्रक्रिया थी जिसमें बच्चे ने बुरी चीजों को स्वीकार कर लिया। पहले तो उसने देखा होगा कि लोग दूसरों को मारते हैं, फिर उसने एक या दो बार खुद दोहराया होगा और ऐसे व्यक्ति बन गया, जो आदतन दूसरे लोगों को मारता है।
अपनी स्वेच्छा में, आदम ने सर्प के प्रलोभन में पड़ने के बाद भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाया। जैसा कि परमेश्वर ने उसे चेतावनी दी थी, तुम निश्चय मरोगे, आदम की आत्मा मर गई। आदम की परमेश्वर के साथ बातचीत कट गयी और वह शत्रु शैतान का दास बन गया।
जैसा कि रोमियों 6ः16 कहता है,, क्या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्त धार्मिकता हैै। उस समय, आदम को उस अधिकार और महिमा को छोडना पड़ा जो उसे सभी प्राणियों के शासक के रूप में मिली थी और उसे शत्रु शैतान को देना पड़ा (उत्पत्ति 1रू28 लूका 4रू6)।
तब से, समय बीतने के साथ, मनुष्य का हृदय और अधिक दुष्ट हो गया है। शत्रु शैतान भी लोगों के लिए बीमारी, गरीबी, आपदा, आंसू, शोक और पीड़ा लाता है और अंत में उन्हें नर्क में ले जाएगा। फिर भी, परमेश्वर का प्रावधान मनुष्य के नर्क में गिरने में नहीं है, बल्कि उसे इस संसार में सापेक्षता का अनुभव करने, अच्छी तरह से जुताई करने और स्वर्ग में प्रवेश करने के योग्य होने के लिए प्रेरित करता है।
जैसा कि पहले से जानता था कि आदम, भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष से फल खाएगा, परमेश्वर ने उसी क्षण से मानव जुताई की योजना बनाई थी उसने पापी मानव जाति के लिए उद्धार का मार्ग तैयार किया और वह मार्ग यीशु मसीह है। परन्तु नियत समय आने तक परमेश्वर ने मार्ग छिपा रखा था।
- मानवजाति के लिए उद्धार का मार्ग और भूमि के छुटकारे का नियम।
फिर कैसे पापी मानवजाति उद्धार तक पहुँच सकती थी? परमेश्वर अपने प्रेम और न्याय में सब कुछ करता है। क्योंकि परमेश्वर सब कुछ आत्मिक व्यवस्था और क्रम की सीमा के भीतर करता है, उसकी क्षमा और पापियों का उद्धार भी उसके सिद्ध न्याय में किया जाता है।
आत्मिक व्यवस्था के अनुसार, जो कहता है, पाप की मजदूरी मृत्यु है, किसी को हमारे पापों की मजदूरी का भुगतान हम सभी पापियों को बचाने के लिए करना था। यही कारण है कि यीशु, परमेश्वर का पुत्र, देहधारी हुआ, पृथ्वी पर आया, और सभी मनुष्यों को पापों से छुड़ाने के लिए लकड़ी के क्रूस पर मर गया। जो लोग इस तथ्य पर विश्वास नहीं करते हैं, वे हमेशा पूछते हैं, हमें उद्धार केवल तभी क्यों मिलता है जब हम यीशु मसीह में विश्वास करते हैं?
फिर भी, जैसा कि बाइबल हमें प्रेरितों के काम 4रू12 में बताती है, और किसी के द्वारा उद्धार नहीं क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकें, यीशु के अलावा कोई और उद्धारकर्ता नहीं हो सकता है और कोई भी उसे अपना उद्धारकर्ता स्वीकार किए बिना उद्धार प्राप्त नहीं कर सकता है।
फिर यीशु मसीह हमारा एकमात्र उद्धारकर्ता क्यों है? यह आत्मिक व्यवस्था के कारण है। आत्मिक व्यवस्था के अनुसार, पाप की मजदूरी मृत्यु है उसके अनुसार आदम के पाप के कारण सभी मानव जाति को मृत्यु के लिए नियत थे। जब सभी मनुष्य शत्रु, दुष्ट और शैतान के दास बन गए, तो आत्मिक नियम लागू किया गया जो कहता है कि जब आप अपने आप को किसी के सामने आज्ञाकारिता के लिए दास के रूप में प्रस्तुत करते हैं, तो आप उसके दास होते हैं जिसे आप मानते हैं।
आत्मिक व्यवस्था के किस नियम के अनुसार पापी मानवजाति क्षमा और उद्धार प्राप्त कर सकती है? हम इस प्रश्न का उत्तर बाइबल में भूमि के छुटकारे की नियम में ढूंढ सकते हैं।
लैव्यव्यवस्था 25ः23-35 कहता है, भूमि सदा के लिये तो बेची न जाऐं, क्योंकि भूमि मेरी है और उस में तुम परदेशी और बाहरी होंगे। लेकिन तुम अपने भाग के सारे देश में भूमि को छुड़ा लेने देना।यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल हो कर अपनी निज भूमि में से कुछ बेच डाले, तो उसके कुटुम्बियों में से जो सब से निकट हो वह आकर अपने भाईबन्धु के बेचे हुए भाग को छुड़ा ले। ”व्यवस्था का यह नियम इज्रराइल में भूमि से जुड़े लेनदेन के संबंध में स्थापित किया गया था और यह मनुष्य पर भी लागू होता है, जो भूमि की मिट्टी से बना है।
परमेश्वर ने कनान की भूमि को इस्राएल के प्रत्येक गोत्र और परिवार के अनुसार विभाजित और वितरित किया और चूँकि सारी भूमि अनिवार्य रूप से परमेश्वर की थी, मनुष्य इसे अपनी इच्छा से नहीं बेच सकता था। यदि भूमि का स्वामी गरीब हो जाता है और उसे भूमि बेचने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उसके सबसे करीबी रिश्तेदार को वापस खरीदना और जमीन को मालिक को वापस करना था। इस व्यवस्था में भूमि के छुटकारे में निहित पापी मनुष्य जाति के लिए उद्धार का मार्ग है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भूमि को बेचने और वापस खरीदने का नियम सीधे उस व्यक्ति से जुड़ा है जो जमीन की मिट्टी से बना है।
उत्पत्ति 3ः19 में, परमेश्वर आदम से कहता है, और अपने माथे के पसीने की रोटी खाया करेगा, और अन्त में मिट्टी में मिल जाऐगा क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है, तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा। उत्पत्ति 3ः23 में हम पढ़ते हैं, तब यहोवा परमेश्वर ने उसको अदन की वाटिका में से निकाल दिया कि वह उस भूमि पर खेती करे जिस में से वह बनाया गया था।
भूमि के छुटकारे के नियम का सीधा संबंध उस तरीके से है, जिसमें मनुष्य, जो भूमि की मिट्टी से बना और शत्रु , दुष्ट के हाथों में सौंप दिया गया था, उनको परमेश्वर को वापय लौटाया जा सकें। जिस तरह भूमि परमेश्वर की है, उसने यह निर्धारित किया है कि आदम का अधिकार, जो मूल रूप से उसी का है, स्थायी रूप से बेचा नहीं जा सकता।
जिस समय आदम ने पाप किया और उसे शत्रु दुष्ट को सौंप दिया गया, उस समय परमेश्वर और शत्रु, दुष्ट दोनों द्वारा इस पर सहमति व्यक्त की गई थी। इस प्रकार, भले ही आदम शत्रु, दुष्ट का दास बन गया और उसे अपना सारा अधिकार त्यागने के लिए मजबूर किया गया, एक व्यक्ति के प्रकट होने पर जो भूमि के छुटकारे के नियम को पूरा कर सकता था, शत्रु, दुष्ट को वह वापस करना पड़ा जो उसे सौंपा गया था ।
जैसा कि परमेश्वर पहले से जानता था कि आदम भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाऐगा, उसने उद्धारकर्ता को तैयार किया जो भूमि के छुटकारे के नियम के सभी नियमों को पूरा करेगा, और वह उद्धारकर्ता यीशु मसीह है। इसे मानमिन समाचार के अगले अंक में जारी रखा जाएगा।
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, परमेश्वर ने यीशु मसीह को तैयार किया और समय के पहले से इस रहस्य को छुपा कर रखा। जब समय आया, यीशु देहधारी होकर पृथ्वी पर आया और उद्धारकर्ता के रूप में अपने कर्तव्य को पूरा किया। मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूं कि आप यीशु मसीह को उद्धारकर्ता के रूप में मानेंगे, उसमें अपने विश्वास का अंगीकार करेंगे, और इस प्रकार उद्धार तक पहुंचेंगे।
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