क्रूस का संदेश (18) क्रूस पर यीशु के अंतिम सात वचन (2) – Message of Cross (18) Last Seven words of Jesus on Cross(2)
यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिस से वह प्रेम रखता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है। तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया॥” (यूहन्ना 19:26-27)।
कुछ ही समय क्रूस पर अंतिम सांस लेने से पहले, अपनी बची हुई पूरी ताकत से यीशु ने अपने अंतिम कुछ वचनों को कहा। उन्हें क्रूस पर अंतिम सात वचन(Last seven words of Jesus on cross) के रूप में जाना जाता है। आखिरी संस्करण से जारी रखते हुए, आइऐं आज हम क्रूस पर अंतिम वचनों मे से तीसरे के बारे में जाने।
1. हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र।
यूहन्ना 19ः26 में लिखा है, जब यीशु ने अपनी माँ और शिष्य को, जिसे वह प्रेम करता था पास में खड़े हुए देखा, तो उसने अपनी माँ से कहा, हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र, यहां पर तेरा पुत्र उस चेले कोे दर्षाता है जिससे यीषु प्रेम करता था। यीशु कंुवारी मरियम से यूहन्ना को अपना पुत्र मानने के लिए कह रहा है।
फिर, यीशु ने क्यों कहा “हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र”। इसका एक महत्वपूर्ण बात जो यहां हमें ध्यान में रखना है वह है कि यीशु ने कुंवारी मरियम को नारी कहा था। बाइबल में कहीं भी एक भी उदाहरण नहीं है जिसमें यीशु ने कुंवारी मरियम को अपनी माँ कहा था।
ष्यूहन्ना की पुस्तक में मां शब्द का इस्तेमाल लेखक, यूहन्ना के दृष्टिकोण से किया गया था, न कि यीशु के। यूहन्ना 2 में एक दृश्य है जिसमें यीशु ने पानी को दाखरस में बदल डाला और फिर से यहां उन्होंने कुंवारी मरियम को नारी कहा। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुंवारी मरियम कभी भी यीषु की मां नहीं बन सकती थी। कुंवारी मरियम, यीशु की माँ कैसे हो सकती है? जो परमेश्वर के समान है। (फिलिप्पियों 2:6) और त्रिएक परमेष्वर के जो परमेश्वर पुत्र है ।
परमेष्वर अनंत काल से अनंत काल तक है और “मैं जो हूँ सो हूँ” है (निर्गमन 3:14) किसी ने उसे जन्म नहीं दिया और न ही उसे बनाया। इसलिए, यीशु जो परमेश्वर के स्वरूप में है, कुंवारी मरियम को जो कि एक मात्र प्राणी है, मां नही कह सकता था। इसके अलावा, जैविक दृष्टिकोण से भी कंुवारी मरियम यीशु की मां नहीं हो सकती है। एक शुक्राणु और एक अंडाणु के संयोजन के माध्यम से गर्भधारण होता है। जबकि, पवित्र आत्मा द्वारा यीशु का गर्भधारण हुआ।
यदि एक बच्चा कृत्रिम वीर्यसेचन के माध्यम से पैदा होता है, तो क्या वह महिला है जिसने बच्चे को जन्म दिया है उसकी मां है? यदि बच्चा एक इनक्यूबेटर में थोड़ी देर बिताता है, तो क्या उसे इनक्यूबेटर को अपनी माँ कहना चाहिए? उसी तरह, यीशु ने कुंवारी मरियम को अपनी माँ नहीं कहा, क्योंकि वह उसके गर्भ से पैदा हुआ था। अगर लोग कुंवारी मरियम को यीशु की माँ मानते हैं और उसकी आराधना करते हैं, तो परमेष्वर उनसे प्रसन्न नहीं होंगे।
जैसा कि परमेश्वसर ने निर्गमन 20:3-4 में हमें बताया है, तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना॥ तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है।
यीशु का अगला वचन, हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र। इस वचन के द्वारा यीषु ने कुंवारी मरियम को सांत्वना दिया। जैसा कि उसने देखा कि उसका प्रिय यीशु बेवजह दुःख झेल रहा है कुंवारी मरियम ने भी हृदय के दर्द और दुःख को सहन किया। यीशु ने जीवन के अंतिम क्षणों में भी कुंवारी मरियम को याद किया और उसने उसको शिष्य यूहन्ना पर अपने पुत्र के रूप में निर्भर होने को दिया।
2. देख, यह तेरी माता।
यूहन्ना 19रू27 तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया॥ उस समय से, बाइबल हमें बताती है, यूहन्ना कुंवारी मरियम को अपने घर में ले गया और उसे अपनी माँ के रूप में सेवा दी। यीशु को कुंवारी के रूप में जन्म देने के बाद, मरियम ने अपने पति युसुफ के साथ और अधिक बच्चों को जन्म दिया। फिर भी, यीशु ने मरियम और युसुफ के बच्चों को मरियम की देखभाल करने के लिए नहीं कहा बल्कि अपने शिष्य यूहन्ना को यह काम सौंपा।
इससे स्पष्ट रूप से हमें क्या अवगत होना चाहिए? बाइबल हमें फिलिप्पियों 3:20 में बताती है, हमारी नागरिकता स्वर्ग में है, जहाँ से हम उद्धारकर्ता, प्रभु यीशु मसीह की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं। उद्धार प्राप्त करने वाले परमेष्वर की संतान स्वर्ग से संबंधित हैं। परमेष्वर की संतान, वे सभी जिन्होंने प्रभु को स्वीकार किया है और जिनका नाम जीवन की पुस्तक में दर्ज है, एक आत्मिक परिवार बनाते हैं जो परमेष्वर को उनके पिता के रूप में सेवा देते है ।
परमेश्वर जीवन का स्रोत है। हालाँकि हममें से प्रत्येक का जन्म हमारे जैविक माता-पिता से हुआ है, हमारे माता-पिता के शुक्राणु और अंडाणु वह परमेश्वर द्वारा दिए गए है। जब हम अपनी वंशावली का पता लगाते हैं, तो हम केवल यह पाते हैं कि सभी मानव जाति के पूर्वज आदम भी परमेश्वर से आया। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से आदम के शरीर को बनाया और उसमें जीवन का सांस फूंका और इसलिए हमारा जीवन परमेष्वर से है। यहां तक कि अगर एक पुरुष और एक महिला विवाह करे भी, तो भी वे परमेेष्वर की अनुमति के बिना एक और जीवन की कल्पना नहीं कर सकते, क्योंकि गर्भ धारण करने वाले बच्चे को एक आत्मा देने का अधिकार भी परमेष्वर का है।
जैसे-जैसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी एक अभूतपूर्व स्तर पर विकसित हुए हैं, मानव क्लोनिंग के आसपास के विवादों में तेजी आई है, लेकिन कोई भी व्यक्ति आत्मा नहीं बना पाऐगा। लोग देह को पुनः बनाने में सक्षम हो सकते हैं लेकिन चूंकि पुनः बनाए गए देह में आत्मा नही होगी, इसलिए वह जानवरों से अलग नहीं होगा और एक मनुष्य की तरह नही सोच सकता है। इसके अलावा, लिंग, विशेषताएंे, बाहरी रूप, और गर्भ धारण बच्चे की अन्य विशेषताओं भी माता-पिता के नियंत्रण से परे है
अटूट तथ्य यह है कि परमेष्वर अकेले मानव जाति के जीवन को नियंत्रित करते हैं। केवल परमेश्वर ही मनुष्य को आत्मा देता है और केवल वही जीवन, मृत्यु, शाप और मानव जाति की आशीषांे को संचालित करता है, और यह परमेश्वर हमारा आत्मिक पिता है। यदि लोग उस पर विश्वास किए बिना सांसारिक तरीकों की इच्छाओं के अनुसार जीवन जीते हैं, तो ऐसे लोग परमेष्वर को पिता नहीं कह सकते हैं। (यूहन्ना 8:44)।
इसलिए, भले ही हम कुछ व्यक्तियों द्वारा इस दुनिया में लहु से जुड़े हैं, अगर हम प्रभु को नहीं मानते हैं, तो हम उनके साथ अनन्त स्वर्ग में वास नहीं करेंगे। यहां तक कि यीशु ने हमें मत्ती 12:50 में इस विषय के बारे में याद दिलाया है, जो कोई भी मेरे पिता की इच्छा पूरी करता है, जो स्वर्ग में है, वह मेरा भाई और बहन और माता है, और हमें एक सच्चे परिवार का स्वरूप सिखाया, एक आत्मिक परिवार है।
हमें अपने षारीरिक परिवार से प्रेम और उनकी सेवा करनी चाहिए। लेकिन यह आत्मिक प्रेम होना चाहिए जो परमेष्वर की दृष्टि में उचित हो । सच्चा प्रेम किसी परिवार से प्रेम करना और आज्ञा मानना नही है जो परमेष्वर के विरूद्ध में बोलता हो और उसकी इच्छा के विरुद्ध चलता हो।
मान लीजिए कि किसी के माता-पिता और भाई-बहन ने किसी व्यक्ति से कहा, चर्च मत जाओ या इस अपराध को करने में मेरे साथ शामिल हो जाऐं। यदि वह व्यक्ति उनका अनुसरण करता है, तो यह प्रेम का मार्ग नहीं बल्कि मृत्यु का मार्ग है। इसलिए, जब हम अपने माता-पिता और भाई-बहनों से प्रेम करते हैं और उनकी सेवा करते हैं, तो हमें सत्य की सीमा के भीतर ऐसा करना चाहिए। इसके अलावा, अगर हम अपने परिवार से सच्चा प्रेम करते है, तो हमें सबसे पहले उन्हें सुसमाचार सुनाना चाहिए और स्वर्ग की ओर उनकी अगुवाई करनी चाहिए।
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, यीशु को क्रूस पर चढ़ाने के दौरान जो तीसरे वचन में बात की गई है, वह यीशु का प्रेम है जिसने विलाप करने वाली मरियम को सांत्वना देने की कोशिश की। हमारा प्रभु हमें यह भी बता रहा है कि प्रभु में सभी भाई-बहन हमारा सच्चा परिवार हैं। मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूं कि आप हमारे प्रभु के हृदय को और भी स्पष्ट रूप से समझेंगे, परमेष्वर को अधिक प्रेम करेंगे, और प्रभु में एक दूसरे से आत्मिक प्रेम के साथ साझा करेंगे।
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इसी तरह मानमिन में रेव डाॅ जेराॅक ली की प्रार्थना के द्वारा विभिन्न प्रकार के सामर्थी कार्य प्रगट हो रहे है जैसे कि कैंसर से चंगाई(healed of Cancer) , कोरोना से चंगाई (Healed of Covid-19) , टी.बी. से चंगाई (Healed of Tuberculosis) और भी बहुत प्रकार की बीमारियो से लोगो ने चंगाईयां प्राप्त की ।
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